ओम जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा। सत्यनारायण स्वामी जन पातक हरणा॥
Автор: Om Bhakti Harika
Загружено: 2025-11-25
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"ॐ जय लक्ष्मी रमणा" (Om Jai Lakshmi Ramana)
भगवान सत्यनारायण की एक आरती है। इसका अर्थ है "हे लक्ष्मी और नारायण के स्वामी, जय हो"। यह आरती भक्तों के सभी पापों का नाश करने वाली और मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली मानी जाती है, जिसमें रत्नजड़ित सिंहासन पर विराजमान, अद्भुत रूप वाले सत्यनारायण की स्तुति की गई है।
मुख्य भाव: इस आरती में, भगवान सत्यनारायण को लक्ष्मीपति के रूप में दर्शाया गया है जो भक्तों के सभी पापों को हरते हैं।
आविष्कार: आरती में बताया गया है कि किस तरह भगवान कलियुग में ब्राह्मण के रूप में प्रकट हुए थे और उन्होंने कई भक्तों की सहायता की, जैसे कि एक भीलनी और राजा चंद्रचूड़।
महत्व: यह आरती विशेष रूप से सत्यनारायण की पूजा के बाद की जाती है। जो कोई भी इस आरती को गाता है, उसे सुख-समृद्धि और मनचाहे फल की प्राप्ति होती है।
स्तुति: इसमें भगवान के स्वरूप, जैसे रत्नजड़ित सिंहासन और नारद मुनि द्वारा की जाने वाली उनकी पूजा का भी वर्णन है।
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