प्रकृति में हर जीव सूंघ कर खाता है,सिवाय मनुष्य छोड़कर मनुष्य चख कर खाता इसीलिए बीमार भी रहता है।
Автор: ताराचन्द बेलजी तकनीक~TCBT~पाठशाला Natural Farming
Загружено: 2025-10-17
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🌹सुगंधिम पुष्टिवर्धनम🌹
अर्थात जहां सुगंध है वहां पुष्टिवर्धन है अर्थात स्वास्थ्य बढ़ने की व्यवस्था है।
कैसे समझिए
सुगंध के अणु सबसे ज्यादा ग्राहय होते है कोशिका के खाने लायक होते है
इसीलिए प्रकृति में हर जीव सूंघ कर खाता है
सिवाय मनुष्य छोड़कर
मनुष्य चख कर खाता है
स्वाद लेकर खाता है इसीलिए बीमार रहता है।
सुगंध की ऊर्जा पॉजिटिव होती है।
जहां सुगंध का वातावरण होगा वहीं पर सुगंध के अणु और जीवाणुओं का निर्माण होता है सुगंध से निकला अणु स्वस्थ शरीर का निर्माण करता है और सुंगध के वातावरण में सुगंध वाले ही जीवाणु पनपते है जो जीवन निर्माण के संवाहक होते है।
अर्थात जहां दुर्गंध होगा वहां l अस्वस्थ वातावरण बनेगा।
तो सुगंधित वातावरण बनाने के लिए हमारे पास दो प्रक्रियाएं हैं
पहला
जल की प्रक्रिया अर्थात जहां जल से जीवन उत्पन्न होता है जल से सुगंध के अणु निकलते हैं वह जल की प्रक्रिया है
और दूसरी है
अग्नि की प्रक्रिया जहां अग्नि किसी परमाणु किसी सुगंधित पदार्थ द्रव्यों को जलाकर तोड़कर और फिर सुगंधित अणु निकलता है यह अग्नि की प्रक्रिया जिसे हम हवन कहते हैं, हवन यज्ञ में यदि हम सुगंधित द्रव्य डालेंगे तो वातावरण सुगंध से भर जाता है ।
जल की प्रक्रिया करते है सुगंधित पेड़ चंपा, चमेली, मोगरा, जासवंत,पारिजात, गंधराज, मधुकामिनी आदि यह सब पौधों असीम सुगंध देते है।
वातावरण का सुगंधित होना क्यों आवश्यक है -
पूरे दिन में भोजन तो केवल 1 किलो करते हैं,पानी 4 से 6 लीटर पीते हैं पर हवा 550 किलो खाते हैं अर्थात हमारा मूल भोजन हवा है तो हवा का सुगन्धित होना बहुत आवश्यक है
क्योंकि
सबसे ज्यादा भोजन हम हवा की ही करते हैं इस बात को जानकर ही हमारे पूर्वज ऋषियों ने हमें इतने सुंदर-सुंदर सुगंध सुगंध वाले पेड़ पौधे दिए जिनमें असीम सुगंध है
उसमें से पारिजात प्रमुख है कहते हैं यह वृक्ष स्वर्ग से लाया गया है।
माता सत्यभामा ने भगवान कृष्ण को इस वृक्ष को धरती पर लाने का आग्रह किया था
कहते है महाभारत काल में सबसे सुंदर स्त्री सत्यभामा थी और सत्यभामा की सुंदरता का संबंध इस पारिजात से बताया गया है तो यह दृष्टांत हमें बताता है कि महिलाओं को यदि स्वस्थ रहना है और सौंदर्य युक्त रहना है तो यह पेड़ उनको अपने घर में अपने आंगन में लगाना ही चाहिए।
इस पेड़ में अक्टूबर नवंबर में ही फूल आते हैं तो पूरे वर्ष भर में अन्य और भी जो सुगंधित पेड़ हैं वह भी लगाना चाहिए क्योंकि जितना हम सुगंधित हवा खाएंगे उतना स्वस्थ रहेंगे यही राज है जिसे ऋषियों ने एक संक्षिप्त वाक्य में बता दिया
सुगंधिम पुष्टिवर्धनम
जहां सुगंध होगा वहीं पुष्टि वर्धन होगा अर्थात स्वास्थ्य बढ़ेगा।
🌹
मिताली ताराचंद की ओर से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
यह दीपावली आपके परिवार को सुगंध से भर दे।
आप स्वास्थ्य और सौन्दर्य प्राप्त करें।
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