NAGGAR GANED अनूठी परम्परा जठाली के सिर पर लगे रणका बकरे के सिंग गाऐ जाते है अश्लील काव्यखण्ड "जिरु"
Автор: कुलूत देश KULUT DESH
Загружено: 2025-01-03
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गनेड़ उत्सव नगर जठाली के सिर पर सींग लगाकर बना आकर्षण
गनेड उत्सव नग्गर,
खराहल और ऊझी घाटी में 30 दिसंबर को हुआ था दियाली उत्सव का आगाज
कुल्लू। जिला मुख्यालय के साथ लगते नग्गर में गनेड़ उत्सव मनाया गया। गनेड़ उत्सव में सभी देव परंपराओं का निर्वहन किया।
जठाली के सिर पर सींग लगाकर आकर्षण का केंद्र रहा। इस नजारे को देखने के लिए नग्गर में श्रद्धालु उमड़े। दियाली उत्सव का आगाज ऊझी घाटी में 30 दिसंबर को हुआ था, लेकिन नग्गर में दियाली के तीन दिन बाद मनाया जाने वाला गनेड़ उत्सव वीरवार को संपन्न हुआ। दोपहर के समय नग्गर कैसेल के पास श्रद्धालु जुटना शुरू हो गए थे। दोपहर बाद ढोल-नगाड़ाें की स्वरलहरियों के बीच जठाली को लकड़ी के डंडे (मूसल) पर बैठाया गया। इसके बाद परिक्रमा की गई। यहां से सभी देवलू एक खेत की तरफ गए। यहां खेल भी खेली गई। ग्रामीणों में गूण की खेल को लेकर काफी अधिक उत्साह देखने को मिला। देवी-देवता काईस में गनेड़ उत्सव में सभी देव परंपराओं का निर्वहन किया गया। माता त्रिपुरा सुन्दरी कैलाशनी देवता जीव नारायण के समक्ष शीश नवाकर हारियानों ने सुख-समृद्धि की कामना की।
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