थारे घट में बिराजे भगवान बाहर काई ढूंढ़ती फिरे, मीरा भजन, भगताई भजन
Автор: Bhagatai Vibes
Загружено: 2025-08-24
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"थारे घट में बिराजे भगवान, बाहर काई ढूंढ़ती फिरे" – यह एक मीरा/संत भजन है, जिसे अक्सर भगताई भजन, कीर्तन और सत्संग में गाया जाता है।
इसका भावार्थ है कि –
भगवान बाहर ढूँढ़ने की चीज़ नहीं, वो तो हर प्राणी के अंतरमन (हृदय-घट) में विराजमान हैं। मन को निर्मल करके, सच्ची भक्ति से भीतर झांको तो भगवान वहीं मिल जाते हैं।
👉 यह भजन प्रायः मीरा बाई, कबीर, और संतों की शिक्षाओं से मेल खाता है।
👉 भगताई भजन मंडलियों में इसे बहुत श्रद्धा और जोश से गाया जाता है।
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