Pattiyan Likhaan Main Shaam Nu || Kalaam Sai BulleShah Ji || RSSB SHABAD ||Radha Soami Beas||
Автор: Surat Shabad Parkash
Загружено: 2025-01-22
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पत्तियां लिखा मैं शाम नूं, पिया मैनूं नज़र ना आवे ।
आंगन बना ड्राउणा, कित बिध रैन वेहावे ।
नींद गई कित देस नूं, उह भी वैरन मेरी।
मत सुफ़ने विच मैऔन मिले,ओह निदर केहड़ी ।
भाईआ वे जोतशिया, इक सच्ची बात वी कहीयो ।
जो मैं हीनी भाग दी, तुम चुप ना रहियो ।
पांधे पंडत जगत के, मै पुच्छ रहियां सारे ।
पोथी बेद क्या दोस है, जो उलटे भाग हमारे ।
भज्ज सक्कां ना भज्जां जां, सच्च इश्क फकीरी ।
पर दुलड़ी तुलड़ी चौलड़ी, गल विच प्रेम ज़ंजीरी ।
रो रो जीयो वालुंदियां, गम करनीआं दूना ।
नैणों नीर भी ना चले, किसे कीता टूना ।
प्रेम नगर चल वसीये, जिथे वसे कंत हमारा ।
बुल्ल्हा शहु तों मंगनी हां, जो दे नज़ारा ।
@SuratShabadrssbbeas
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