धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय | Kabir Bhajan | Kabir Path | Kabir Vani | Nirgun Bhajan
Автор: कबीर–पथ
Загружено: 2025-10-22
Просмотров: 3537
स्वागत है कबीर-पथ में। इस भजन में कबीरदास जी का अमृत दोहा "धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय। माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय" को हृदयस्पर्शी संगति में प्रस्तुत किया गया है।
Welcome to Kabir-Path. This soulful composition presents Kabir's profound doha about patience and divine timing, set to meditative music.
🎵 इस भजन की विशेषताएं:
• धैर्य और सब्र का गहरा संदेश
• शांत और मेडिटेटिव संगति
• आंतरिक शांति का अनुभव
• मन को शांति देने वाली धुन
📜 मुख्य संदेश:
"धीरे चलना रे मनवा, जल्दी का फल कड़वा होय
नाम सिमरन की धुनि में, सब कुछ मीठा होय"
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Lyrics :
मन की नदिया बहती जाए, धैर्य का किनारा पाए
जल्दी में जो भटक जाए, वो अपना ही घर गंवाए
साँस साँस में राम बसे, धीमी चाल से काम बसे
समय का चक्र अटल रहे, सब्र से फल मिले सहे
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय।
माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय॥
बीज धरती में गाड़ा जाए, धूप पानी से तरसाए
दिन रात माली सींच जाए, फिर भी वक़्त पर फल आए
मन का बगिया भी ऐसा है, नाम का पानी प्यासा है
धैर्य धरे जो साध करे, वो परमात्मा को पाए
धीरे चलना रे मनवा, जल्दी का फल कड़वा होय
नाम सिमरन की धुनि में, सब कुछ मीठा होय
समय पके जब आम होय, तब लगे अमृत सा स्वाद
धीरे चलना रे मनवा, यही कबीरा का वाद
जो अधीर हो दौड़े फिरे, वो अपने ही हाथ मरे
चाह की आग में जल जाए, शांति कहीं न पाए
धूल उड़ाकर भागे जो, वो राह भी भूल जाए
ठहरे जो गुरु वचन सुने, वो सच्चा सुख पाए
ओ मन! क्यों व्याकुल होता है, समय का राजा आएगा
जो बोया है प्रेम का बीज, वो फल बनकर लहराएगा
धैर्य की माला जप ले तू, अहंकार को भुला दे
क्षण क्षण में राम मिले तुझे, बस अंतर में झुक जा दे
प्रतिदिन करले नाम जप, साँसों में बसा राम जप
कर्म करे फल की चाह बिन, तो मन होगा निर्मल बिन
धीरे धीरे चले जो भाई, वो कभी न होवे हाई
सब्र का फल मीठा होवे, जीवन सफल होय
धीरे चलना रे मनवा, जल्दी का फल कड़वा होय
नाम सिमरन की धुनि में, सब कुछ मीठा होय
माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय
धीरे चलना रे मनवा, कबीर यही कहे होय
धैर्य धरे जो राम भजे, वो सागर पार उतरे
धीरे धीरे सब होय, कबीर के वचन पे मरे
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