राजभाषा के रूप में हिंदी की संवैधानिक स्थिति
Автор: PRAGYA CLASSES BMR
Загружено: 2021-03-07
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प्रिय विद्यार्थियों इस वीडियो में राजभाषा हिंदी की संवैधानिक स्थिति को स्पष्ट किया गया है l राजभाषा संबंधी अनुच्छेद, आठवीं अनुसूची, राजभाषा अधिनियम 1963 (संशोधित 1967) एवं राजभाषा नियम-1976 को स्पष्ट किया गया हैं l
राजभाषा अधिनियम-1963(1967 में संशोधित)-9 धाराएँ-
1- 26 जनवरी 1965 के बाद भी हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी भाषा संघ के उन सब राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग में लाई जाती रहेगी जिनके लिए वह इससे पहले प्रयोग में लाई जाती रही है l
2- जब तक कर्मचारी हिंदी का कार्य साधक ज्ञान प्राप्त नहीं कर लेते तब तक हिंदी के साथ अंग्रेजी का और अंग्रेजी के साथ हिंदी का अनुवाद पत्र आदि में दिया जाए l
3- संघ के संकल्पों, अधिसूचनाओं, प्रेस विज्ञप्तियों, विज्ञापनों करारों, संविदाओं, प्रशासनिक प्रतिवेदनों आदि दस्तावेजों को हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में बनाना, निष्पादित करना और जारी करना अनिवार्य होगा l
4- धारा 3 के लागू होने के 10 वर्ष बाद राजभाषा के संबंध में एक समिति बनाई जाएगी इसमें लोकसभा के 20 राज्यसभा के 10 सदस्य होंगे l यह समिति हिंदी के प्रयोग में की गई प्रगति की समीक्षा करेगी l
5- राष्ट्रपति के अधिकार से राजपत्र में प्रकाशित किसी केंद्रीय अधिनियम आदि का हिंदी अनुवाद उसका हिंदी में प्राधिकृत पाठ समझा जाएगा l
6- राज्यों के विधान मंडलों द्वारा पारित अधिनियमों के हिंदी पाठ या अनुवाद उनके प्राधिकृत पाठ माने जाएंगे l
7- उच्च न्यायालय के निर्णयों में हिंदी या किसी राजभाषा का वैकल्पिक प्रयोग किया जा सकेगा l
8- केंद्रीय सरकार वैधानिक प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा नियम बना सकती है l
9- धारा 6 और 7 के उपबंध जम्मू और कश्मीर राज्य पर लागू नहीं होंगे l संशोधन द्वारा यह कहा गया कि जब तक अहिंदी भाषी राज्य अंग्रेजी को समाप्त करने का संकल्प नहीं करेंगे तब तक अंग्रेजी का प्रयोग चलता रहेगा l
राजभाषा अधिनियम की धारा 8 के तहत राजभाषा नियम 1976 के तहत 12 नियम बनाए गए l नियम संख्या-2 के तहत केंद्र सरकार के कार्यालयों को 3 वर्गों में रखा गया-
'क' वर्ग के राज्य- उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली l इनके बीच पत्र व्यवहार हिंदी में ही होगा l
'ख' वर्ग के राज्य- पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, चंडीगढ़, अंडमान निकोबार l इनके बीच पत्र व्यवहार सामान्यत हिंदी में होगा, अंग्रेजी में हो तो हिंदी अनुवाद अवश्य भेजा जाए l
'ग' वर्ग के राज्य- शेष सभी राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश l उनके बीच पत्र व्यवहार अंग्रेजी में ही होगा l
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