उत्तराखण्ड के चारो धामों की संरक्षक माँ धारी देवी मंदिर |Dhari Devi Mandir Shrinagar Uttrakhand
Автор: Dharmik Dharti
Загружено: 2025-11-15
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धारी देवी मंदिर का इतिहास पौराणिक कथाओं से जुड़ा है, जहाँ मान्यता है कि मंदिर में विराजमान प्रतिमा एक दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है: सुबह कन्या, दोपहर में युवती और शाम को वृद्धा के रूप में। यह मंदिर अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है और इसे उत्तराखंड का रक्षक माना जाता है। 2013 में, बांध निर्माण के कारण मंदिर को जलमग्न क्षेत्र से हटा दिया गया और बाद में पुनर्निर्मित किया गया, जिसके बाद से यह 2013 की आपदा से भी जुड़ा हुआ है।
धारी देवी मंदिर का इतिहास और महत्व
पौराणिक कथा: एक प्राचीन कथा के अनुसार, एक बार भीषण बाढ़ आई जिससे मंदिर और माता की मूर्ति बह गई। प्रतिमा धारो गांव के पास एक चट्टान से टकराकर रुक गई और ईश्वरीय वाणी से ग्रामीणों को उस स्थान पर मंदिर बनाने का निर्देश मिला।
रूप बदलने की मान्यता: मंदिर में देवी के रूप बदलने का रहस्य प्रसिद्ध है। मान्यता है कि सुबह वे कन्या, दोपहर में युवती और शाम को वृद्धा के रूप में दर्शन देती हैं।
उत्तराखंड का संरक्षक: धारी देवी को उत्तराखंड की संरक्षक देवी और चार धामों की रक्षक माना जाता है।
2013 की आपदा: 2013 की आपदा के बाद यह मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध हुआ। कई लोगों का मानना है कि मंदिर से मूर्ति को हटाना उस विनाशकारी बाढ़ का एक कारण था, क्योंकि मूर्ति को हटाने के तुरंत बाद राज्य में आपदा आ गई थी।
वर्तमान स्थिति: मंदिर को 2013 में क्रेन की मदद से ऊपर लाया गया और फिर सरकार ने ₹50 करोड़ की लागत से इसका पुनर्निर्माण कराया। वर्तमान में मंदिर अलकनंदा नदी के बीच में स्थित है और इसके ऊपर छत नहीं है क्योंकि यह माना जाता है कि धारी देवी को छत के नीचे नहीं रखा जा सकता है।
Jay Maa Gange, Har Har Gange, Har Har Mahadev
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