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इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) भारत की सबसे बड़ी ऑयल कंपनी है और यह सरकारी सेक्टर की कंपनी है, जिसमें भारत सरकार के पास 50% से अधिक हिस्सेदारी है। यह भारत की 11 महारत्न कंपनियों में से एक है। रोजाना 59 करोड़ लीटर पेट्रोल भारत में बिकता है, जिसमें से आईओसीएल की हिस्सेदारी 24 करोड़ लीटर है, जिससे यह देश की सबसे बड़ी पेट्रोल विक्रेता है। इंडियन ऑयल के पास देशभर में 71,000 फ्यूल स्टेशन हैं और इसकी मौजूदगी श्रीलंका, मध्य पूर्व और मॉरिशस में भी है। हाल ही में, कंपनी के पूर्व सचिव द्वारा जारी रिपोर्ट में शहरों में डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की गई है।
1867 में भारत में पहली बार पेट्रोलियम ऑयल खोज और इसकी उत्पादन शुरू हुई। 1901 में असम के डिगबोई में भारत की पहली पेट्रोलियम ऑयल रिफाइनरी बनाई गई। इसके बाद से भारत में इंडस्ट्री के विकास के साथ-साथ पेट्रोलियम के आवश्यकता भी बढ़ी। भारत की ऑयल इंडस्ट्री में विदेशी कंपनियों का भी दबदबा था। इस संदर्भ में, 1958 में भारत सरकार ने भारतीय रिफाइनरी लिमिटेड की स्थापना की जो आगे चलकर इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOCL) बन गई। IOCL आज भारत की सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी है और देश में व्यापक नेटवर्क के साथ उत्पादन, रिफाइनिंग, और वितरण के क्षेत्र में कार्यरत है।
1959 में भारत सरकार ने इंडियन ऑयल कंपनी को एक संवैधानिक निकाय के रूप में स्थापित किया। इसकी प्राथमिकता शुरुआत में राज्यों को ऑयल प्रोडक्ट की आपूर्ति करना थी। बाद में कंपनी राज्यों की रिफाइनरी से आ रहे ऑयल की बिक्री करने लगी। 1961 के बाद इंडियन ऑयल को विदेशी कंपनियों के साथ मूल्य मुद्रा के मोर्चे पर लड़ना पड़ा। वह समय में यह भारत की एकमात्र ऑयल कंपनी थी।
धीरे-धीरे, कंपनी ने विदेशी कंपनियों के सामने भारत में ऑयल और गैस के आयात-निर्यात में उभार पाई। उस समय तक इंडियन ऑयल का अपना कोई आउटलेट नहीं था और वह खुदरा बिक्रीकर्ताओं को ऑयल आपूर्ति करती थी। धीरे-धीरे, सरकार की सहायता से कंपनी ने अपनी स्थिति को मजबूत किया और विदेशी ऑयल कंपनियों के साथ मुनाफे की दिशा में आगे बढ़ना शुरू किया।
सितंबर 1964 में भारतीय रिफाइनरीज लिमिटेड और भारतीय ऑयल कंपनी का विलय होकर भारतीय ऑयल कॉर्पोरेशन (Indian Oil Corporation) की स्थापना हुई। इस निर्णय के बाद सरकार ने निर्धारित किया कि सभी ऑयल रिफाइनरीज के पेट्रोलियम उत्पाद भारतीय ऑयल के माध्यम से ही विक्रयित किए जाएंगे।
इसी दशक में वैश्विक वस्त्र उद्योग में गतिविधि तेजी से बढ़ रही थी। भारत भी इस प्रतिस्पर्धी दौड़ का हिस्सा था। इसके परिणामस्वरूप, देश में पेट्रोलियम उत्पाद की मांग बढ़ी, जिससे सरकार को ईंधन की लागत में वृद्धि हुई। सरकार ने उस समय प्राइवेट पेट्रोलियम कंपनियों पर पेट्रोलियम उत्पाद के आयात-निर्यात पर पाबंदी लगाई। इस कार्रवाई का परिणाम था कि भारतीय ऑयल ने पेट्रोलियम के आयात पर एकमात्र नियंत्रण प्राप्त किया। उसी साल, इंडियन ऑयल ने गुवाहाटी से सिलिगुड़ी तक भारत की पहली पेट्रोलियम पाइपलाइन का निर्माण किया।
इंडियन ऑयल (Indian Oil) कंपनी भारतीय पेट्रोलियम सेक्टर की महारत्न कंपनियों में से एक है। यह 1964 में भारतीय रिफाइनरीज लिमिटेड और भारतीय ऑयल कंपनी के विलय से बनी थी। कंपनी ने भारतीय सेना को पेट्रोलियम की आपूर्ति करते हुए 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी अहम भूमिका निभाई। इंडियन ऑयल कंपनी ने विभिन्न अवसरों पर अपने अनुसंधान और विकास केंद्रों की स्थापना की और 1995 में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट हुई। 2010 में यह भारत की पहली कॉर्पोरेट कंपनी बनी, जिसका टर्नओवर 1 लाख करोड़ रुपए हो गया।
इंडियन ऑयल ने फरवरी 2023 में अडाणी ग्रुप के साथ समझौता किया है, जिसमें LPG आयात के लिए विशाखापट्टनम पोर्ट की जगह गंगावरम पोर्ट का उपयोग किया जाएगा। विपक्षी दलों ने इस पर आपत्ति जताई है और कंपनी में सरकारी हिस्सेदारी बेचने की खबरें भी आई हैं। हालांकि, इंडियन ऑयल ने इन आरोपों को खारिज किया है और सरकार की 50% से अधिक हिस्सेदारी बरकरार रहेगी।