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उस्मान कवाला: तुर्की में मानवाधिकार का संघर्ष [Osman Kavala] | DW Documentary हिन्दी

Автор: DW Documentary हिन्दी

Загружено: 2023-05-26

Просмотров: 26493

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तुर्की के मानवाधिकार कार्यकर्ता और कला संरक्षक उस्मान कवाला 2017 से जेल में हैं. तुर्की में लोकतंत्र और क़ानून के शासन के लिए काम करने वाले समाजसेवी कवाला को तुर्की की एर्दोवान सरकार सार्वजनिक दुश्मन मानती है.

उस्मान कवाला कला और संस्कृति फाउंडेशन अनादोलु कुल्तूर के संस्थापक और अध्यक्ष हैं. उन्होंने विभिन्न संस्कृतियों और समुदायों के बीच संवाद को बढ़ावा देने और तुर्की की सिविल सोसाइटी को मजबूत करने के लिए कई परियोजनाएं शुरू की हैं. उन्होंने तुर्की में अल्पसंख्यकों के अधिकारों का भी समर्थन किया, जिनमें कुर्द और अर्मेनियाई समुदाय सबसे प्रमुख हैं.

व्यवसायी कवाला को मूल रूप से राष्ट्रपति एर्दोवान की सरकार के खिलाफ 2013 में हुए गेज़ी पार्क प्रदर्शनों का मुख्य अभियुक्त बताते हुए गिरफ्तार किया गया था. उन्हें फरवरी 2020 में उस आरोप से बरी कर दिया गया. उन्हें सिलिवरी उच्च सुरक्षा जेल में नज़रबंदी से रिहा कर दिया गया, लेकिन कुछ ही घंटों बाद फिर से गिरफ्तार कर लिया गया. इस बार तख्तापलट की कोशिश में शामिल होने का आरोप लगाया गया. 2022 में कवाला को कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.

कवाला जेल से लिखते हैं, "जब मैंने फैसला सुना, तो मुझे अपने देश में न्यायपालिका और न्यायाधीशों की स्थिति के लिए गहरा दुख हुआ. ऐसे कई कैदी हैं जिन्हें मनमाने फैसलों के जरिये हिरासत में लिया गया है या सजा दी गई है, और उनमें से कई मुझसे अधिक समय तक सलाखों के पीछे रहे हैं."

उनकी नजरबंदी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा की गई और इसे तुर्की में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मानवाधिकारों को कम करने की कोशिशों की तरह देखा गया. यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय ने 2019 में मानवाधिकार कार्यकर्ता की रिहाई का आदेश दिया और हिरासत को राजनीति से प्रेरित बताया.

लिंडा फियरएके की यह फिल्म उस्मान कवाला के अपने शब्दों और उनसे प्रभावित लोगों पर आधारित है. कवाला की पत्नी आयशे बुगरा, दंपति की परेशानी की कहानी बताती हैं. अनादोलु कुल्तूर की कार्यकारी निदेशक असेना गुइनाल बताती हैं कि तुर्की की सिविल सोसाइटी उनकी आवाज़ और उनकी प्रतिबद्धता को कितना याद कर रही है, खासकर अब, भूकंप आपदा के बाद.

65 वर्षीय उस्मान कवाला जेल से लिखते हैं, "जेल में अक्सर मौत के बारे में विचार आते हैं." ‘हालांकि, मैंने अपने बचे जीवन को सलाखों के पीछे बिताने की संभावना के बारे में कभी चिंता नहीं की, बल्कि, मैं बस यह नहीं बता सकता कि मुझे कब रिहा किया जाएगा... मुझे उम्मीद है कि इन अन्यायों के लिए जिम्मेदार कम से कम कुछ लोग अदालत के सामने पेश किए जाएंगे. यह मेरी बदले की भावना को पूरा करने के लिए नहीं है, बल्कि भविष्य में न्यायपालिका में इस तरह के हेरफेर को रोकने के लिए है.”


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