चेतावनी भजन - रामचन्द्र कह गए सिया से, ऐसा कलयुग आयेगा | विजय रोशन बाड़ी जोड़ी | चेतावनी भजन 2025
Автор: RK Music Bari Jori
Загружено: 2025-04-01
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चेतावनी भजन - रामचन्द्र कह गए सिया से, ऐसा कलयुग आयेगा | विजय रोशन बाड़ी जोड़ी | श्री नाथु सिंह शेखावत के शिष्य
इस चेतावनी भजन में श्री रामचन्द्र जी के शब्दों को उजागर किया गया है, जिसमें वह सीता जी से कहते हैं कि एक दिन ऐसा कलयुग आएगा, जो समाज की नैतिकता और धर्म को चुनौती देगा। यह भजन श्री नाथु सिंह शेखावत के शिष्य गायक विजय रोशन बाड़ी जोड़ी द्वारा प्रस्तुत किया गया है। भजन में कलयुग के संकटों के बीच भक्तों को धर्म और सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है।
"रामचंद्र कह गए सिया से" भजन के पूर्ण बोल निम्नलिखित हैं:
रामचंद्र कह गए सिया से,
ऐसा कलयुग आएगा,
हंस चुगेगा दाना दुनका,
कौवा मोती खाएगा।
सिया ने पूछा:
कलयुग में धर्म-कर्म को कोई नहीं मानेगा?
तो प्रभु बोले:
धर्म भी होगा, कर्म भी होगा, लेकिन शर्म नहीं होगी,
बात-बात में माता-पिता को,
बेटा आँख दिखाएगा।
राजा और प्रजा दोनों में,
होगी नित्य खींचातानी,
कदम-कदम पर करेंगे दोनों,
अपनी-अपनी मनमानी,
जिसके हाथ में होगी लाठी,
भैंस वही ले जाएगा।
सुनो सिया, कलयुग में,
काला धन और काले मन होंगे,
चोर-उचक्के नगर सेठ, और प्रभु भक्त निर्धन होंगे,
जो होगा लोभी और भोगी,
वो जोगी कहलाएगा।
मंदिर सूना-सूना होगा, भरी रहेगी मधुशाला,
पिता के संग-संग भरी सभा में नाचेगी घर की बाला,
कैसा कन्यादान, पिता ही कन्या का धन खाएगा।
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*"रामचंद्र कह गए सिया से" भजन का अर्थ और व्याख्या:*
यह भजन कलयुग के लक्षणों का वर्णन करता है। इसमें बताया गया है कि भविष्य में समाज में नैतिकता, धर्म और आदर्शों का पतन होगा। आइए इसके मुख्य अंशों का अर्थ समझते हैं:
*1. रामचंद्र कह गए सिया से, ऐसा कलयुग आएगा,*
*हंस चुगेगा दाना-दुनका, कौवा मोती खाएगा।*
➡️ प्रभु श्रीराम माता सीता से कहते हैं कि एक ऐसा समय आएगा जब अच्छाई की कद्र नहीं होगी। जो योग्य (हंस) हैं, उन्हें छोटे-छोटे सुख मिलेंगे, जबकि अयोग्य और धूर्त लोग (कौवे) बड़े लाभ उठाएंगे।
*2. धर्म भी होगा, कर्म भी होगा, लेकिन शर्म नहीं होगी,*
➡️ लोग धार्मिक गतिविधियाँ करेंगे, लेकिन केवल दिखावे के लिए। कर्म होंगे, लेकिन वे निष्काम भाव से नहीं होंगे। सबसे बड़ी समस्या यह होगी कि लोगों में नैतिकता और लज्जा समाप्त हो जाएगी।
*3. बात-बात में माता-पिता को, बेटा आँख दिखाएगा।*
➡️ परिवारों में सम्मान और संस्कार कम हो जाएंगे। संतान अपने माता-पिता का आदर नहीं करेगी और उनसे बदतमीजी से पेश आएगी।
*4. जिसके हाथ में होगी लाठी, भैंस वही ले जाएगा।*
➡️ यहाँ यह बताने का प्रयास किया गया है कि अन्याय और ताकतवर लोगों का बोलबाला होगा। जो बलशाली होगा, वही दूसरों का हक छीन लेगा।
*5. मंदिर सूना-सूना होगा, भरी रहेगी मधुशाला।*
➡️ लोग धर्म और सत्य से दूर हो जाएंगे। मंदिरों में भक्ति कम होगी, जबकि शराबखाने और गलत कार्यों के स्थान ज्यादा फलेंगे-फूलेंगे।
*6. चोर-उचक्के नगर सेठ, और प्रभु भक्त निर्धन होंगे।*
➡️ बेईमान और भ्रष्ट लोग अमीर बन जाएंगे, जबकि सच्चे और ईमानदार लोग गरीबी में जीवन व्यतीत करेंगे।
*7. जो होगा लोभी और भोगी, वो जोगी कहलाएगा।*
➡️ जो वास्तव में तपस्वी और संत होने चाहिए, वे विलासिता में लिप्त होंगे। असली साधु पीछे छूट जाएंगे, जबकि नकली साधु आदर पाएंगे।
*8. पिता के संग-संग, भरी सभा में नाचेगी घर की बाला।*
➡️ समाज में नैतिक मूल्यों का ह्रास होगा। रिश्तों की गरिमा नष्ट हो जाएगी, और लालच के कारण परिवार के सदस्य भी अनैतिक आचरण में लिप्त होंगे।
** निष्कर्ष : **
यह भजन हमें समाज में नैतिकता, धर्म और मूल्यों के पतन की चेतावनी देता है। इसमें बताया गया है कि कैसे कलयुग में अन्याय, पाखंड, लालच और अनैतिकता का बोलबाला होगा। यह हमें सजग रहने और अपने धर्म, संस्कार और सत्य की राह पर चलने की प्रेरणा देता है।
अगर इस भजन को गहराई से देखा जाए, तो यह एक प्रकार से आज के समाज का भी चित्रण करता है, जहां कई ऐसी बातें सच होती दिख रही हैं।
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