Chitrakut Me Ye Prachin मंदिर 🤔सती अनसुइया माता जी का
Автор: R K Kushwaha X2007
Загружено: 2025-08-05
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चित्रकूट धाम में सती अनसूया का आश्रम ऋषि अत्रि और उनकी पत्नी अनसूया का विश्राम स्थान है, जहां वे ध्यान करते थे. ऐसी मान्यता है कि माता अनसूया की तपस्या से मंदाकिनी नदी प्रकट हुई थी
सती अनसूया कौन थीं?
अनसूया, प्रजापति कर्दम और देवहूति की पुत्री और अत्रि मुनि की पत्नी थीं.
वह अपनी पति-भक्ति और सतीत्व के तेज के कारण "सती अनसूया" कहलाती थीं, क्योंकि उनके तेज का अनुभव आकाश से जाने वाले देवों को भी होता था.
चित्रकूट से संबंध
चित्रकूट का अत्रि मुनि आश्रम सती अनुसुइया के नाम पर है, जहाँ उन्होंने और उनके पति ने तपस्या और ध्यान किया था.
मान्यता के अनुसार, माता अनसूया ने अपनी तपस्या से मंदाकिनी नदी को प्रकट किया था जब उनके पति ऋषि अत्रि को जल की आवश्यकता थी.
पौराणिक कथाएँ
भगवान राम का आगमन:
वनवास के दौरान भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण सती अनसूया के आश्रम में गए थे
माता सीता को शिक्षा:
माना जाता है कि सती अनसूया ने यहां माता सीता को कई शिक्षाएं दीं.
त्रिमूर्ति की परीक्षा:
एक अन्य मान्यता के अनुसार, ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने सती अनसूया की सतीत्व की परीक्षा लेने के लिए उनके पुत्रों का रूप धारण कर इसी स्थान पर निवास किया था, और बाद में वे सती अनसूया के वरदान के बाद उनके पुत्र बने.
महत्व
यह स्थान आध्यात्मिक और शांतिपूर्ण तीर्थ स्थल है, जो भक्तों को आकर्षित करता है.
महिलाएं इस स्थान पर सिंदूर चढ़ाकर मन्नत मांगती हैं, जिसे वे विशेष प्रसाद के रूप में प्राप्त करती हैं
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