अयोध्या का दिव्य वृक्ष "कोविदार"
Автор: Aarambh
Загружено: 2025-11-27
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कोविदार वृक्ष (Bauhinia variegata, कचनार) का अयोध्या राम मंदिर परिसर में प्रत्यक्ष रोपण त्रेता युग के राजचिन्ह को पुनर्स्थापित करने का प्रतीक है, जो वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड में वर्णित है। राम मंदिर के ध्वजारोहण (नवंबर 2025) के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे "हमारी स्मृति की वापसी" कहा, क्योंकि यह राम राज्य की शक्ति, शौर्य, धर्म और संप्रभुता का प्रतीक था। मंदिर परिसर में 6 कोविदार के पौधे लगाए गए, जो अब 8 फीट ऊंचे हो चुके हैं और दर्शन के लिए तैयार हैं।
पौराणिक उत्पत्ति
पौराणिक कथाओं के अनुसार, कोविदार दुनिया का पहला हाइब्रिड वृक्ष है, जिसे ऋषि कश्यप ने मंदार और पारिजात वृक्षों के संकरण से बनाया। वाल्मीकि रामायण (अयोध्या कांड, सर्ग 84 और 96) में इसका उल्लेख है: भरत की सेना चित्रकूट पहुंची तो लक्ष्मण ने रथ के ध्वज पर कोविदार देखकर अयोध्या की पहचान की, और राम से कहा कि वे भरत को हराकर कोविदार ध्वज अधीन करेंगे। निषादराज गुह ने भी इसी वृक्ष से सेना की पहचान की।
मंदिर ध्वजा में पुनराविर्भाव
ध्वजा डिजाइनर ललित मिश्रा ने मेवाड़ की सचित्र रामायण से प्रेरित होकर कोविदार, सूर्य और ओम को अंकित किया। त्रेता युग के बाद कलियुग में राम मंदिर के शिखर पर फहराए गए इस ध्वज ने अयोध्या की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को जीवंत किया। कोविदार के बैंगनी फूलों वाला यह दिव्य वृक्ष देवताओं का प्रिय और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है।
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