हुज़ूर के विशाल का वाकिया/Ek bar jarur sune sabhi musalman/Sayyed Aminul qadri Sahab ka wakiya
Автор: Deen_E_Islam
Загружено: 2025-12-19
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हुज़ूर के विशाल का वाकिया/Ek bar jarur sune sabhi musalman/Sayyed Aminul qadri Sahab ka wakiya
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हुज़ूर ﷺ का दिल पूरी कायनात के लिए रहमत से भरा हुआ था। दुश्मन भी जब सामने आता, तो आप ﷺ बदले की जगह दुआ को चुनते। एक बार लोगों ने पत्थर मारे, जिस्म लहूलुहान हुआ, मगर ज़ुबान से बद्दुआ नहीं निकली — बल्कि यही फरमाया कि “या अल्लाह, मेरी क़ौम को हिदायत दे, ये मुझे नहीं जानते।”
यही हुज़ूर ﷺ की अज़मत थी कि तकलीफ़ में भी सब्र, और ताक़त में भी आज़िज़ी न छोड़ी। ग़रीब, यतीम, मज़लूम — सबके लिए आप ﷺ साया बनकर खड़े रहे। आपकी बातों में सुकून था, नज़र में रहमत थी और अमल में इंसाफ़।
जो एक बार दिल से हुज़ूर ﷺ से जुड़ गया, फिर वो कभी तन्हा नहीं रहा — क्योंकि आप ﷺ सिर्फ़ अपने दौर के नहीं, बल्कि हर ज़माने के लिए रहमत बनकर आए।
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