अब मन ! छोड़ बृथा का मोह।।(दादाजी) कौशल पवैया kaushal pawaiya
Автор: Kaushal Pawaiya Bhajan
Загружено: 2025-12-19
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दोहा:
रसना राम नाम के भजंन से, सिद्ध तेरे पाषान।
तू भी भव तर जाएगी, सुमिरन करिये गान।।
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अब मन छोड़ बृथा का मोह,
राम भजन बिन, संग सत्य बिन,
चित्त करहि मन छोह।।
अब मन छोड़ बृथा का मोह।।
सत का भजन, संग साध का,
ममता परिहार द्रोह।
परमानंद बृती को कारिये,
आसक्ति मिटा अवरोह।।
अब मन छोड़ बृथा का मोह।।
सुफल जन्म काया को करिए,
भक्ति अमृत टोह।
दास मुरारी हरि प्रिय चिंतन,
प्रीति परा को जोह।।
अब मन छोड़ बृथा का मोह।।
राम नाम के भजन से, सिद्ध तेरे पाषाण।
प्राणी तू तर जाएगा, सुमिर राम गुणगान।।
अब मन छोड़ बृथा का मोह।।
अब मन छोड़ बृथा का मोह,
राम भजन बिन, संग सत्य बिन,
चित्त करहि मन छोह।।
अब मन छोड़ बृथा का मोह।।
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#शांतिदायक राम भजन
“राम नाम की शक्ति”
भजन रचना: पूज्य पिता श्री मुरारीलाल जी पवैया
दादा जी की डायरी : "सत्य स्मृति"
दिनाँक: 20-8-84
पृष्ठ क्रमांक: 31, "भजन गान"
"राम भजन" (सत्संग)
मुरार ग्वालियर
धुनबद्ध एवं स्वर: कौशल पवैया
दिनाँक : 19 दिसम्बर 2025
रात्रि काल, नोयडा
स्प्ष्ट एवं मधुर स्टीरियो आवाज में सुनने हेतु कृपया ब्लूटूथ स्पीकर अथवा कान में ईयरफोन कोड से अथवा मोटर कार के स्टीरियो डैक में श्रवण कीजिएगा।
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