एक राजा नगर उज्जैन का / Ek Raja Nagar Ujini Ka / “Guru Gorakhnath / प्रेम नाथ डेगाना / Bharathari
Автор: DM Degana
Загружено: 2025-12-12
Просмотров: 11181
⇨ LIKE | SHARE | COMMENT | SUBSCRIBE
⇨Song : Ek raja nagar Ujjain
⇨Singer : Prem Nath Degana
⇨Lyrics : Traditional
⇨Category : Traditional
⇨Director : Sumer Degana
जागरण के लिए संपर्क करे प्रेम नाथ डेगाना [ 9413437754 ]
Special thanks
Girdhari Pareek Degana
Mula Ram Dhamami Degana
Sumer Degana
Pintu
══════════════════════════
☛Connect with Sumer Degana [ 7877443880 ] ☚
Insta - @sumer_degana
Link - / sumer_degana
⭐ राजा भरथहरी – उज्जैन का वैराग्य नायक
🔶 1. बचपन : महल का अनोखा राजकुमार
उज्जैन के राजा गौढ़ और रानी के घर एक तेजस्वी पुत्र हुआ—
भरथहरी।
बचपन से ही भरथहरी अन्य बच्चों से भिन्न थे।
जहाँ अन्य राजकुमार धनुष-बाण, घुड़सवारी और युद्धकला में रुचि लेते थे,
वहीं भरथहरी गहन चिंतन, एकांत और ध्यान में अधिक समय बिताते थे।
महल के विद्वान उन्हें शास्त्र, नीति, योग और धर्म पढ़ाते थे।
उनके व्यवहार में गंभीरता, आँखों में करुणा और मन में गहरी खोज रहती थी—
“जीवन का सच्चा अर्थ क्या है?”
🔶 2. युवावस्था और प्रेम : रानी पिंगला का प्रवेश
जब भरथहरी युवा हुए, उनका तेज और सौंदर्य पूरे मालवा में प्रसिद्ध हो गया।
इन्हीं दिनों उनकी भेंट हुई एक अत्यंत रूपवती और बुद्धिमती स्त्री पिंगला से।
दोनों के मध्य प्रेम अंकुरित हुआ,
फिर विवाह हुआ,
और उज्जैन में उल्लास छा गया।
भरथहरी पिंगला से अत्यंत प्रेम करते थे।
उनके हृदय का प्रत्येक भाव पिंगला से जुड़ा था।
🔶 3. राजगद्दी और भीतर की रिक्तता
राजगद्दी संभालने पर भरथहरी ने उज्जैन को समृद्धि, शांति और न्याय से भर दिया।
प्रजा उन्हें धर्मनिष्ठ राजा मानती थी।
परंतु उनके भीतर एक अदृश्य खालीपन बस गया था।
महल का वैभव, सिंहासन की चमक, सत्ता का विस्तार—
सब होते हुए भी मन अस्थिर था।
अंदर एक आवाज उठती रहती—
“क्या जीवन केवल इतना ही है?”
🔶 4. पिंगला का मोह और भरथहरी का टूटना
एक दिन भरथहरी को ज्ञात हुआ कि
रानी पिंगला का आकर्षण किसी अन्य पुरुष की ओर हो गया है।
कुछ कथाओं में कहा गया है कि वह एक सैनिक था।
यह समाचार सुनकर भरथहरी का हृदय टूट गया।
उनका संसार बिखर गया।
जिसे वे सर्वाधिक प्रेम करते थे,
उसी से उन्हें सबसे बड़ा आघात मिला।
आत्मा की पीड़ा इतनी गहरी थी कि महल का प्रत्येक कक्ष—
उन्हें सूना लगने लगा।
🔶 5. गुरु गोरखनाथ का सान्निध्य
एक रात भरथहरी अकेले वन में चले गए।
चंद्रमा की रोशनी थी, पर मन में घोर अंधकार।
वहीं उनकी भेंट हुई
गुरु गोरखनाथ जी से —
अद्भुत तेज वाले महान योगी।
गुरु ने राजकुमार को देखकर कहा:
“राजन, तुमने संसार को साध लिया,
पर स्वयं को कब साधोगे?”
इन शब्दों ने उनके जीवन को बदल दिया।
भरथहरी ने निर्णय ले लिया—
अब राजपथ नहीं, सत्य का मार्ग चुनेंगे।
🔶 6. सन्यास : ताज उतरा, वैराग्य धारण हुआ
एक दिन राजसभा में उन्होंने घोषणा की—
“मैं राजपाट त्यागता हूँ।
अब जीवन सत्य की खोज में लगेगा।”
सभी स्तब्ध रह गए।
महारानी पिंगला तक यह सुनकर कांप उठीं।
भरthहरी ने अपना मुकुट उतारा,
राजसी वस्त्र त्यागे,
गेरुआ वस्त्र धारण किए,
और महासिद्ध योगी भरथहरी नाथ बन गए।
🔶 7. पिंगला का पश्चाताप और विदाई का करुण दृश्य
जब पिंगला को ज्ञात हुआ कि भरथहरी सन्यास लेकर महल छोड़ रहे हैं,
वह रोती हुई उनके पीछे दौड़ी।
वह उनके सामने खड़ी होकर बोली—
“स्वामी, मुझसे भूल हुई…
कृपा कर मुझे छोड़कर मत जाइए।
मैं आपके बिना जीवित नहीं रह सकती।”
भरथहरी ने शांत स्वर में उत्तर दिया—
“पिंगला, मोह में रहकर सत्य नहीं मिलता।
प्रेम मन का होता है,
पर सत्य आत्मा का।”
पिंगला ने उनके पैरों को पकड़ लिया,
पर भरथहरी ने धीरे से हाथ छुड़ाया
और कहा—
“मैं तुम्हें नहीं,
अपने भीतर के अंधकार को छोड़ रहा हूँ।”
इसके बाद वे गोरखनाथ जी के साथ वन की ओर बढ़ गए।
पिंगला धूल भरे मार्ग पर खड़ी रोती रह गई।
🔶 8. महायोगी का जीवन
भरथहरी ने पूर्ण सन्यास अपना लिया।
ध्यान, योग, तप और आत्मचिंतन में जीवन व्यतीत किया।
कथाओं के अनुसार उन्होंने ‘वैराग्य शतक’ जैसे मूल्यवान ग्रंथों की रचना भी की।
उनका नाम इतिहास में
राजा से योगी बनने वाले पुरुषार्थी नायक
के रूप में अंकित है।
“जिस राजा ने प्रेम में टूटकर राजपाट छोड़ दिया,
वही उज्जैन का भरथहरी—
जो अंत में मोह से ऊपर उठकर,
महायोगी बन गया।”
Доступные форматы для скачивания:
Скачать видео mp4
-
Информация по загрузке: