इस स्मारक का निर्माण 1153 ईस्वी में मुहम्मद गोरी के आदेश पर किया गया था।
Автор: Faraz tv9
Загружено: 2025-02-15
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"ढाई दिन का झोपड़ा" (Dhai Din Ka Jhopra) अजमेर, राजस्थान में स्थित एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारक है। यह एक पुरानी मस्जिद है जिसका निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था। इसका नाम "ढाई दिन का झोपड़ा" इसलिए पड़ा क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इसे मात्र ढाई दिन (2.5 दिन) में बनाया गया था। हालांकि, यह नाम प्रतीकात्मक हो सकता है और इसके निर्माण में वास्तव में अधिक समय लगा होगा।
इतिहास:
इस स्मारक का निर्माण 1153 ईस्वी में मुहम्मद गोरी के आदेश पर किया गया था।
यह मूल रूप से एक संस्कृत विद्यालय (सरस्वती कंठाभरण मंदिर) था, जिसे कुतुबुद्दीन ऐबक ने तोड़कर मस्जिद में बदल दिया।
इसका डिजाइन और निर्माण हिंदू और जैन वास्तुकला के तत्वों को समेटे हुए है, जो इसके पूर्ववर्ती मंदिर के प्रभाव को दर्शाता है।
मस्जिद के स्तंभों और दीवारों पर हिंदू और जैन मूर्तियों के अवशेष देखे जा सकते हैं।
वास्तुकला:
यह इमारत भारतीय और इस्लामिक वास्तुकला का एक अनूठा मिश्रण है।
मस्जिद के मुख्य हॉल में सुंदर नक्काशीदार स्तंभ हैं, जो हिंदू और जैन शैली में बने हुए हैं।
इसके प्रवेश द्वार पर जटिल नक्काशी और सुलेख देखने को मिलता है।
महत्व:
"ढाई दिन का झोपड़ा" भारत में इस्लामिक और हिंदू वास्तुकला के संगम का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
यह स्थान पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
यह अजमेर के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों में से एक है और इसे राजस्थान सरकार द्वारा संरक्षित किया गया है।
यह स्मारक भारत के समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक है और इस्लामिक और हिंदू कला के मिश्रण को दर्शाता है।
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