#Institutional
Автор: Headline Radar
Загружено: 2025-12-09
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आज यह बात किसी एक सरकार के समर्थन या विरोध की नहीं है।
यह वीडियो उस तंत्र पर सवाल उठाता है जहाँ इंसाफ़ की रफ़्तार आपकी मजबूरी नहीं, आपकी ताक़त तय करती है।
जब गरीब का घर कुछ घंटों में मलबा बन सकता है,
लेकिन बड़े हितों के सामने नियम “पुनर्विचार” का विषय बन जाते हैं—
तो सवाल सरकार से ज़्यादा व्यवस्था से बनता है।
क्यों किसान सालों सड़क पर बैठे रहते हैं,
छात्र सवाल पूछने पर लाठियाँ खाते हैं,
प्रवासी कामगार आँकड़ों में गुम हो जाते हैं,
और वहीं बड़ी पूँजी के लिए
कानून धीमा, नरम और संवादशील हो जाता है?
इस वीडियो में हम नाम नहीं,
नियत और नीति के फर्क की बात कर रहे हैं।
उस सिस्टम की, जहाँ दबाव बनाने की ताक़त
न्याय पाने की शर्त बन चुकी है।
यह कोई आरोप नहीं—
यह एक आईना है।
और आईने से नज़रें चुराना
सच को बदल नहीं देता।
अगर आप मानते हैं कि
लोकतंत्र में सबसे बड़ी ताक़त जनता का सवाल है,
तो इस वीडियो को पूरा देखें,
समझें और अपनी राय ज़रूर साझा करें।
क्योंकि जब तक सवाल ज़िंदा हैं,
तब तक लोकतंत्र ज़िंदा है।
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