झूठा माया मोह || KABIR DOHE || Dhyan Sutra
Автор: Ajay Nirankari
Загружено: 2025-10-16
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यह भजन संत कबीर दास जी के गूढ़ और गहन दोहों पर आधारित है, जिसमें उन्होंने संसार के झूठे मोह-माया, मान-अहंकार, बाहरी दिखावे और सच्चे प्रेम की महिमा का सुंदर वर्णन किया है।
कबीर जी कहते हैं — यह संसार माया और झूठे आकर्षण में फँसा हुआ है, पर सच्चा ज्ञान तभी आता है जब मनुष्य अपने भीतर सत्य को पहचानता है।
भजन में बताया गया है —
माया त्यागने से कुछ नहीं होता, जब तक अहंकार नहीं मिटता।
केवल पाठ और कीर्तन से नहीं, सच्चे भाव और प्रेम से ही प्रभु प्राप्त होते हैं।
सच्चा साधक वही है जो सत्य के मार्ग पर चलता है और अपने मन को हरि में समर्पित करता है।
अंत में कबीर जी कहते हैं — “साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप”, यानी सत्य ही सबसे बड़ा तप है।
🎧 यह भजन सुनने से क्या मिलेगा:
👉 आत्मज्ञान की प्रेरणा
👉 अहंकार से मुक्ति का संदेश
👉 सच्चे प्रेम और भक्ति की अनुभूति
👉 कबीर के साक्षात वचनों से जीवन मार्गदर्शन
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🌼 भावार्थ (Meaning Summary):
यह गीत हमें यह सिखाता है कि माया, मान और झूठे आडंबर से कुछ नहीं मिलता।
सच्चा भक्ति मार्ग प्रेम, सादगी और सत्य में बसता है।
जो अपने हृदय में सच्चाई रखता है, वहीं भगवान का सच्चा घर है।
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