‘लू’, ‘डाफर’ और ‘बादली’ के रचनाकार | राजस्थान के महान कवि चंद्रसिंह बिरकाली | विनोद स्वामी
Автор: Vinod Swami
Загружено: 2025-12-29
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आधुनिक राजस्थानी भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार प्रकृति चित्रण के सिरमौर कवि श्री चंद्र सिंह बिरकाली का जन्म 27 अगस्त 1912 को हनुमानगढ़ जिले की नोहर तहसील के गांव बिरकाळी में हुआ । 14 सितंबर 1992 को महाकवि चंद्र सिंह जी इस संसार को छोड़कर चले गए उन्होंने अपनी काव्य यात्रा में 1914 में वादळी नाम से रचना लिखी । अन्य रचनाओं में लू , बाळसाद , कहमुकरणी , सांझ, बसंत, धीरे, डांफर-गाथा, चांदणी, बातड़ल्यां, बाड़ आदि है।आज काव्य रचना है । इसके अलावा महाकवि कालिदास के 'रघुवंश' व 'मेघदूत' का राजस्थानी भाषा में अनुवाद किया। प्राकृत भाषा की अमर कृति 'गाथा-सप्तशती' रो राजस्थानी में ' काळजै री कोर' नाम सूं अनुवाद किया । 'जफरनामा' का राजस्थानी में अनुवाद किया और राजस्थानी भाषा में 'मरुवाणी' नाम की मासिक पत्रिका भी निकाली । चंद्र सिंह जी की लोकप्रिय रचना वादळी का प्रोफेसर इंद्र कुमार शर्मा ने 'अंग्रेजी ' भाषा में अनुवाद किया । नागरी प्रचारिणी सभा काशी से रत्नाकर पुरस्कार और राष्ट्रीय स्तर पर बलदेव दास पदक पुरस्कार से भी वादळी को सम्मानित किया गया । गुरबत भाग - 34 विनोद स्वामी
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