कुंडली में ग्रहों की खगोलीय स्थिति - Birth Chart and Astronomical positions
Автор: Ravindra Godbole
Загружено: 2025-01-18
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नमस्ते
ये है जन्म कुंडली
आज हम कुंडली के बारे में चर्चा करेंगे इस गतिविधि के माध्यम से
ये चर्चा आकाश में ग्रहों की खगोलीय स्थिति तक ही सीमित रहेगी
न कि किसी व्यक्ति पर इन स्थितियों के प्रभाव की
इससे पहले, इस वीडियो श्रृंखला में, हमने ग्रह, नक्षत्र और राशि के बारे में चर्चा की थी
हम सब अलग अलग मानचित्र या नक्शा या मैप को जानते है ,
जैसे देश का नक्शा घर का नक्शा , mall का नक्शा , airport ka naksha ,
हर एक map का उद्देश्य अलग अलग होता है
ये है आसमान का नक्शा या स्टार चार्ट
कुंडली एक प्रकार का नक्शा है
जन्मकुंडली ya kundali वह पत्री है जिसमें व्यक्ती के जन्म के समय आकाश मंडल में जो ग्रह, नक्षत्र व राशियों की स्थिति है, उन्हे दर्शाया जाता है।
हमेशा की तरह थोडासा revision करते है
ये व्यक्ति जमीन पर खड़ा है
इसे हम इस डिस्क पर रखेंगे जिसपर चार दिशाए अंकित की है
पूरब , पश्चिम उत्तर दक्षिण
डिस्क की परिधि / circumference किसी स्थान के क्षितिज को दर्शाती है
व्यक्ति को इस प्रकार रखें कि उसका चेहरा पूर्व की ओर हो
ये ऐक्रेलिक का गोलार्द्ध होगा हमारा स्थानीय आकाश
सुबह सूरज पूरब से उगता है , दोपहर को सर के ऊपर और शाम को पश्चिम दिशा में अस्त होता है
लेकिन सूरज रात को कहा होता है ?
इस गोलार्ध के साथ और एक दूसरा गोलार्ध और एक डिस्क जोड़ते है
ये रिंग क्रांतिवृत्त को दर्शाएगी
जिस मार्ग से सूरज का ये भ्रमण होता है उसे एक्लिप्टिक या क्रांतिवृत्त भी कहते है
वास्तविक जीवन में यह झुका हुआ होता है और पूरे वर्ष आकाश में अपनी स्थिति बदलता रहता है
लेकिन हम इसे अभी सरल रखेंगे
सुबह पूरब में उदय, दिन के लगभग १२ बजे ठीक सर के ऊपर
अब गोलार्ध को निकलते है
अभी हम सूरज की स्थिति २४ घंटे में कैसे होती है ये देख पाएंगे
, शाम को पश्चिम में अस्त, रात को १२ बजे के करीब यहाँ पर और फिर अगले दिन की सुबह पूरब में उदय
भारतीय खगोल शास्त्र में सूर्य और चंद्र को भी ग्रहो का स्थान दिया गया है। वैसे तो ९ ग्रह है लेकिन हम आज राहु और केतु का विचार नहीं करेंगे क्योकि है छाया ग्रह है और इस मॉडल में नहीं दिखाए जा सकते [ Add reference video ]
ऐक्रेलिक रिंग के बदले इस डायल को रखेंगे जिसपर राशि और नक्षत्रोंके नाम लिखे है
पृथ्वी की दैनिक गति के कारण बारह राशियों का चक्र (zodiac) चौबीस घंटों में हमारे क्षितिज का एक चक्कर लगा आता है
अब पूर्व क्षितिज पर मीन राशि है
अब पश्चिमी क्षितिज पर कन्या राशि है
अब सूर्य मकर राशि में है
अब सूर्य मकर राशि में है। रिंग को एक बार घुमाने से एक दिन पूरा हो जाता है
पूरे वर्ष सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में स्थान बदलता रहता है
Isi tarah ye मार्ग पर सौर मंडल के अन्य ग्रह भ्रमण करते है
इस वृत को १२ भागो में विभाजित करते है
अभी राषिओंको मिटते है और आसमान में ये १२ स्थान है ऐसा सोचते है
हरेक स्थान के लिए अलग रंग है
ये रेखा क्षितिज दर्शाएगी और ये मध्याह रेखा
प्रत्येक भाग के सामने एक त्रिकोण निकलते है जो उसी स्थान को दर्शायेगा
सभी त्रिकोण अगर केंद्र में इक्कठा किये जाये तो ये आकृति मिलेगी जो कुंडली जैसी लगाती है।
ये भाग इस स्थान से जुड़ा हुआ है , याने पूरब दिशा में क्षितिज के पास, ये स्थान ठीक ऊपर (zenith ) , ये स्थान पश्चिम दिशा में क्षितिज के पास और ये स्थान एकदम निचे. [nadir ]
कुन्डली में सम्पूर्ण भचक्र को बारह भागों में विभाजित किया जाता है
कुंडली में बारह खाने होते हैं
हिन्दू ज्योतिष इनको " भाव " कहते हैं। अंग्रेजी में 'हाऊस` और फारसी में 'खाना` कहते हैं।
इस आयत को घुमाएँ और हमें नियमित कुंडली लेआउट प्राप्त होगा
1 क्षितिज के निकट क्षेत्र को इंगित करता है
4 नादिर का प्रतिनिधित्व करता है
7 अंक क्षितिज पर पश्चिम दिशा का प्रतिनिधित्व करता है
संख्या 10 चरम/zenith का प्रतिनिधित्व करती है
कुंडली में स्थिति से संबंधित ये अंक प्रदर्शित नहीं किए जाते हैं और नियमित परिपाटी का पालन किया जाता है।
वस्तुत: आकाश में इनकी स्थिति ही इस मुख्यता का कारण है। लग्न पूर्व क्षितिज और क्रांति वृत्त का संयोग बिंदु कहा गया है
जैसे-जैसे दिन बढ़ता है, आकाश में राशि की स्थिति बदलती है, वैसे ही कुंडली भी बदलती है
। इनमें जो राशि क्षितिज में लगी होती है उसे लग्न कहते हैं।
हम 9 जनवरी 2025 को शाम 6 बजे कुंडली का विश्लेषण करने के लिए हिंदू कैलेंडर ऐप का उपयोग करेंगे
मेष राशि यहाँ है, इसके बाद वृषभ मिथुन कर्क सिन्हा कन्या इत्यादि हैं
नंबर 1 मेष राशि / Aries का प्रतिनिधित्व करता है
कई बार कुंडली में उल्लिखित संख्याएं मेष से शुरू होने वाली राशियों की अनुक्रमिक संख्या होती हैं
कुंडली में 7 ग्रहों का भी उल्लेख किया गया है
चंद्र, बृहस्पति, मंगल, सूर्य और बुध , शुक्र और शनि
लग्न राशि है Jemini या मिथुन
आइए देखें कि ये ग्रह हमारी व्यवस्था में किस प्रकार स्थित हैं
९ जनवरी २०२५ को शाम के ६ बजे उदय स्थान पर मिथुन राशि थी
यह 0 डिग्री पर मिथुन राशि की शुरुआत है और 30 डिग्री पर समाप्त होती है
धनु राशि में सूर्य की स्थिति २५ deg और १८ मिनिटइस प्रकार रहेगी
लग्न मिथुन राशि 23/6 पर है.
२३ deg ६ मिनिट इतना कोनिय अंतर ये राशि क्षितिज के ऊपर है
यह 0 डिग्री पर धनु राशि की शुरुआत है और 30 डिग्री पर समाप्त होती है
धनु राशि में सूर्य की स्थिति २५ deg और १८ मिनिटइस प्रकार रहेगी
सूरज धनु राशि में है और २५ deg और १८ मिनिट इतने कोनिय अंतर पर सूरज का स्थान है
चन्द्रमा मेष राशि में है २८ deg २३ मिनिट पर
बुध धनु राशि में है ७ deg २१ मिनिट
शुक्र कुम्भ राशि में है 12/28
मंगल कर्क राशि में है 18/9
और बृहस्पति या गुरु वृषभ राशि में 21/5
७ ग्रहोंकी स्थिति इस प्रकार है
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