अँखियाँ हरि दरसन की प्यासी ।।राग चारुकेशी ।।Sung by Swami Samapriyananda।। Tabla-Rabin Choudhury।
Автор: Shubhasish mj
Загружено: 2025-03-13
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अँखियाँ हरि दरसन की प्यासी ।।राग चारुकेशी ।।Sung by Swami Samapriyananda।। Tabla-Rabin Choudhury।
अँखियाँ हरि दरसन की प्यासी ।
देख्यो चाहत कमलनैन को, निसिदिन रहत उदासी ।।
केसर तिलक मोतिन की माला, वृंदावन के वासी ।
नेह लगाय त्यागि गये तृनसम, डारि गये गल-फाँसी ।।
काहू के मन की को जानत, लोगन के मन हाँसी ।
'सूरदास' प्रभु तुम्हरे दरस बिन, लैहीं करवत कासी ।।
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