राम गीत को सुन भावुक हो वसीम बरेलवी जी ने लगाया गले I Lal Qila Kavi Sammelan 2018
Автор: Priyanshu Gajendra
Загружено: 2020-03-18
Просмотров: 425308
मर्यादा में आबद्ध जीवन की विवशता का चित्रण करती यह रचना जो हम सबके मन के भीतर उपस्थिति अपने राम को व्यक्तिगत हितों का त्याग करने पर विवश करती है।
लोक मर्यादा और व्यक्तिगत जीवन के अन्तर्द्वन्द को व्याख्यायित करती हुई कविता"अभिशापित राम" आपको समर्पित सुने समझें लाइक शेअर अवश्य करें।
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