हंसा निकल गया काया से | Hansa Nikal Gaya Kaya Se | कबीर भजन | Kabir Bhajan
Автор: कबीर पथ – The Path of Kabir
Загружено: 2025-10-04
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✍️ कबीर दास जी का भजन : हंसा निकल गया काया से खाली पड़ी रही तस्वीर ✍️
📖 पंक्तियों की व्याख्या 📖
1. हंसा निकल गया काया से खाली पड़ी रही तस्वीर: आत्मा (हंसा) शरीर से निकल गई और शरीर (तस्वीर) खाली पड़ा रह गया।
☝️भावार्थ: कबीर कहते हैं कि जीवन के अंत में आत्मा शरीर छोड़ देती है और शरीर मृत हो जाता है।
2. खूब मनाये देवी देवता खूब मनाये पीर: देवी-देवताओं और पीरों की पूजा की गई।
☝️भावार्थ: कबीर जीवन में की गई धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों का उल्लेख करते हैं।
3. अब परवाना है उस घर का जाना पड़े अखिर: अब उस घर (परलोक) का परवाना है, और अंततः जाना ही पड़ेगा।
☝️भावार्थ: कबीर कहते हैं कि जीवन का अंत निश्चित है और सभी को परलोक में जाना होगा।
4. कोई रोबे कोई मलमल धोवे कोई उड़ावे चीर: कोई रोता है, कोई मलमल धोता है, और कोई चीर (कपड़े) उड़ाता है।
☝️भावार्थ: कबीर मृत्यु के समय के विभिन्न रीति-रिवाजों और प्रतिक्रियाओं का वर्णन करते हैं।
5. चार जने मिल कांधे उठामें ले जाएं जमुना तीर: चार लोग मिलकर कंधे पर उठाकर जमुना के किनारे ले जाते हैं।
☝️भावार्थ: कबीर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया का उल्लेख करते हैं।
6. जब यमदूत लेन को आने तनक घरे नहीं धीर: जब यमदूत आत्मा को लेने आते हैं, तो थोड़ा भी धैर्य नहीं रहता।
☝️भावार्थ: कबीर मृत्यु के समय की पीड़ा और यमदूतों के आने का वर्णन करते हैं।
7. मार मार के प्राण निकाले वहे नैन से नीर: प्राणों को मार-मार कर निकाला जाता है, और आँखों से आँसू बहते हैं।
☝️भावार्थ: कबीर मृत्यु के समय की पीड़ा और दुःख का वर्णन करते हैं।
8. मोर मुल्क की क्या रे चलाई संग ना जावे शरीर: इस संसार की क्या चलाई, जो शरीर के साथ नहीं जाती।
☝️भावार्थ: कबीर कहते हैं कि संसार की माया और पदार्थ साथ नहीं जाते।
9. जा जंगल में चिता बना दई कह गए दास कबीर: जंगल में जाकर चिता बना दी जाती है, जैसा कि कबीर दास कहते हैं।
☝️भावार्थ: कबीर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया और जीवन की अनित्यता का उल्लेख करते हैं।
🎯 मुख्य संदेश
जीवन की अनित्यता: कबीर जीवन की अनित्यता और मृत्यु की निश्चितता को रेखांकित करते हैं।
संसार की माया: संसार की माया और पदार्थों की असारता का उल्लेख करते हैं।
मृत्यु की पीड़ा: मृत्यु के समय की पीड़ा और दुःख का वर्णन करते हैं।
आध्यात्मिक विचार: जीवन के अंत में आध्यात्मिक विचार और आत्म-विचार की आवश्यकता पर जोर देते हैं।
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