[Jharkhand Jigyasa - 32] Non-cooperation movement in jharkhand by Udit Kushwaha
Автор: Jigyasa- JPSC & JSSC Exams
Загружено: 2022-05-13
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असहयोग आन्दोलन के क्रम में भी झारखण्ड पूरी तरह आंदोलित रहा था, यहाँ के निवासियों ने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। 1920-21 में गाँधीजी स्वयं यहाँ आए और राँची स्थित भीमराज बंशीधर मोदी धर्मशाला में रुके। इस धर्मशाला के सामने ही लंकाशयर-मैन्चेस्टर मिलों के विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई। लोगों ने खादी पहनने का संकल्प लिया और चरखा चलाने लगे। सबसे महत्वपूर्ण बात यह हुई कि गांधी जी का यहाँ ताना भगतों से संपर्क हुआ। वैष्णव ताना भगत दल के अनुयायी गांधी जी के शिष्य बनते गए। खादी बुनना और पहनना, पैसा-दो-पैसा, जो भी इनके पास था, गाँधीजी को समर्पित कर देना इनका धर्म बन गया। असहयोग आंदोलन के क्रम में इन लोगों ने ब्रिटिश सरकार को टैक्स देना बंद कर दिया। फलस्वरूप उनकी जमीन जब्त की ली गई। स्वयं गाँधी जी ने स्वीकार किया था कि उनके सारे शिष्यों में ताना भगत सर्वोत्कृष्ट थे।
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