खेचरी सिद्धि हुवी | शरीर मे स्वतः प्राणायाम | योगी बुद्धि प्रकाश
Автор: Brahmavidya
Загружено: 2024-10-25
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जय गुरुदेव
खेचरी मुद्रा, योगासन की एक मुद्रा है. इसे करने का तरीकाः
पद्मासन में बैठकर दोनों भौहों को बीच में स्थिर करें.
जीभ को उलटकर तालू से सटाकर पीछे रंधरा में डालने का प्रयास करें.
इस स्थिति में चित्त और जीभ दोनों आकाश में स्थित रहते हैं, इसलिए इसे खेचरी मुद्रा कहते हैं.
खेचरी मुद्रा के बारे में कुछ और बातेंः
खेचरी मुद्रा का अभ्यास करने से शरीर में मुक्ति मिलती है और सिर में बिन्दु की ऊर्जा बंद हो जाती है.
इस मुद्रा को करने से भूख, प्यास, और मृत्यु के भय से परे हो जाता है.
खेचरी मुद्रा, ध्यान और उज्जायी प्राणायाम के साथ की जाती है.
खेचरी मुद्रा को करने से व्यक्तित्व में बदलाव आता है और भावनात्मक असंतुलन पर काबू पाया जा सकता है.
खेचरी मुद्रा में जीभ की नोक तालु को छूने से तालु चक्र सक्रिय हो जाता है.
इस मुद्रा से उत्पन्न गर्मी से एक पवित्र तरल उत्पन्न होता है जिसे अमृत कहा जाता है.
खेचरी मुद्रा से जुड़ी कुछ और बातेंः
खेचरी विद्या भगवान शिव और उनकी साथी देवी के बीच संवाद के रूप में लिखी गई है.
खेचरी मुद्र
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