भ्रष्टाचार का नंगा नाच । एक करोड़ 24 लाख की लूट ।गोइलकेरा चाइबासा
Автор: News Aapka
Загружено: 2025-11-12
Просмотров: 16969
लड़ के लिया झारखंड… छिन के लिया झारखंड…”
ये नारा आज भी कानों में गूंजता है, लेकिन अफसोस! जिस झारखंड का सपना उन वीर शहीदों ने देखा था, वो आज भ्रष्टाचार के दलदल में फंसा हुआ है।
पश्चिम सिंहभूम के गोइलकेरा प्रखंड के कारा गांव में भ्रष्टाचार का ऐसा नंगा नाच चल रहा है, जिसे देखकर लगता है जैसे शासन-प्रशासन ने अपनी आंखें बंद कर ली हैं।1 करोड़ 24 लाख रुपए की लागत से सड़क बननी थी — लेकिन बन क्या रहा है देखिए
कच्ची मिट्टी पर पानी छिड़ककर सीधे पीसीसी डाल दी जा रही है!न बालू, न जेबीसी, न खुदाई… बस ठेकेदार की मर्जी और अधिकारियों की मिलीभगत दिखाई दे रही है “ये वो इंजीनियरिंग है, जो शायद दुनिया में कहीं नहीं सिखाई जाती…क्योंकि यहां ‘सड़क बनाना’ नहीं, ‘पैसा दबाना’ सिखाया जाता है।”सवाल उठता है…“क्या यही है वो झारखंड जिसके लिए लोगों ने बलिदान दिया था?”क्या शहीदों की आत्मा अब भी चैन से सो पाती होगी जब उनके सपनों के राज्य में ये डकैती चल रही है?” आपको बता दे कि जहां ईमानदारी घटती है,वहां ठेकेदारी बढ़ती है।जहां जनता चुप रहती है,
वहां भ्रष्टाचार खुलकर मुस्कुराता है। और यही हाल इस योजना का हो रहा है ।“अरे ठेकेदार साहब!
अगर सड़क ऐसे ही बनती तो गांव के बच्चे भी बना लेते,
फिर आपको क्यों ठेका मिला?
मिट्टी पर पीसीसी डालकर जनता की आंखों में धूल झोंक रहे हैं?शर्म नहीं आती?”जिस इंजीनियर को ‘साइट पर रहना’ था,वो शायद ‘रिश्वत की साइट’ पर बैठा है।
जिसे माप लेना था सीमेंट का अनुपात,वो माप रहा है ‘कमीशन का हिसाब।’और जिसे जनता की परेशानी देखनी थी,वो ठेकेदार की गाड़ी में घूम रहा है!”
इस कारा गांव के आस पास कुछ महीने पूर्व ही माओवादियों के साथ सुरक्षा बलो के भीषण मुठभेड़ हुई थी कई नक्सली मारे गए थे जिस इलाके में कभी गोलियों की आवाज गूंजती थी, वहां अब भ्रष्टाचार के हथौड़े की आवाजें आ रही हैं।माओवादियों से तो सुरक्षा बलों ने जंग जीत ली —पर अब लड़ाई भ्रष्ट अधिकारियों और ठेकेदारों से है,जो जनता के सपनों को सीमेंट की जगह मिट्टी में मिला रहे हैं।सुनिए एक ग्रामीण ने इस भ्रष्टाचार को पोल कैसे खोली ।ग्रामीणों की बातों में दर्द है, लेकिन अफसरों के कानों में शायद रुपये की झंकार गूंज रही है।”“झारखंड का यह हाल देखकर लगता है —
माओवादियों से तो बंदूकें जीत गईं,
पर अब ये लड़ाई भ्रष्टाचार की बंदिशों से है।
गोलियां नहीं चलतीं, लेकिन फाइलों में गरीबों का खून सूखता है।”“सोचिए… जिन वीरों ने इस धरती को अलग पहचान दिलाने के लिए अपनी जान दी,
आज उनकी धरती पर ईमानदारी दम तोड़ रही है।
जनता अब भी सड़क, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य के लिए तरस रही है,और नेता बस फ़ाइलों में ‘विकास’ गिन रहे हैं।”“सड़कें बनती नहीं, जमीरें बिकती हैं!रिपोर्ट बनती नहीं, रिश्वतें लिखी जाती हैं!अफसर जांच नहीं करते, जुगाड़ करते हैं!और गरीब? वो अब भी उम्मीद करता है — शायद अगली बार सच में सड़क बने…”“पश्चिम सिंहभूम के ये रास्ते सिर्फ गांवों को नहीं जोड़ते,ये हमारी संवेदनाओं को भी जोड़ने की कोशिश करते हैं।लेकिन जब सड़कों पर भ्रष्टाचार बिछा हो,तो वहां इंसानियत की गाड़ियां कैसे चलेंगी।“लड़ के लिया था झारखंड…अब वक्त है — लड़ के बचाना पड़ेगा झारखंड!क्योंकि अगर जनता नहीं जागी,
तो अगली बार कोई और नहीं,भ्रष्टाचार ही छिन लेगा हमारा झारखंड…”“कहते हैं झारखंड संसाधनों में अमीर है,
पर नेताओं और अफसरों की ईमानदारी में गरीब है।
अब वक्त आ गया है कि इन ठेकेदारों और इंजीनियरों से पूछा जाए क्या सड़क बनाओगे, या सिर्फ जेब भरोगे?’”
#jharkhand
#news
#chaibasa
Доступные форматы для скачивания:
Скачать видео mp4
-
Информация по загрузке: