एक योगी जो कैमरे में नहीं आते थे नज़र 📸 a yogi invisible in camera !
Автор: Hinduism School of Wisdom
Загружено: 2023-08-04
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लाहिड़ी महाशय का जन्म 30 सितम्बर, 1828 को भारत में बंगाल के घुरनी गाँव में हुआ था। तैंतीस वर्ष की आयु में, रानीखेत के पास हिमालय की तलहटी में एक दिन घूमने के दौरान, वह अपने गुरु महावतार बाबाजी से मिले। यह उन दोनों का दिव्य पुनर्मिलन था। यह दोनों बहुत से पूर्व जन्मों में भी साथ रह चुके थे। आशीर्वाद के जागृति उत्पन्न कर देने वाले एक स्पर्श से लाहिड़ी महाशय ईश्वरीय बोध की आध्यात्मिक आभा में डूब गए जो सर्वदा उनके साथ रही।
महावतार बाबाजी ने उन्हें क्रियायोग के विज्ञान में दीक्षा दी और सभी शुद्ध और सच्चे साधकों को इस पवित्र तकनीक को प्रदान करने का निर्देश दिया। इस महान् उद्देश्य की पूर्ती हेतु लाहिड़ी महाशय अपने घर बनारस लौट आए। समकालीन युग में लुप्त हुए क्रियायोग विज्ञान की शिक्षा प्रदान करने वाले प्रथम गुरु के रूप में वह उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में आधुनिक भारत मे अत्यंत प्रभावशाली मौलिक (बीजरूपी) योग के पुनर्जागरण में मौलिक भूमिका का निर्वहन करने वाले गुरु के रूप में निरंतर प्रसिद्ध हैं।
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