भगवद्गीता अध्याय 12 | भक्ति का सबसे सरल मार्ग | जब थक जाएँ… तो बस जुड़ जाएँ | Hindi Meditation
Автор: Positivitea Pathshala
Загружено: 2025-12-20
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अगर आप आज थके हुए हैं…
अगर मन भारी है, उलझा हुआ है…
और भीतर कहीं यह सवाल उठ रहा है कि
“क्या मैं जैसा हूँ, वैसा भगवान के लिए पर्याप्त हूँ?”
तो यह ध्यान आपके लिए है।
भगवद्गीता का अध्याय 12
हमें कोई कठिन साधना नहीं सिखाता।
यह अध्याय हमें यह याद दिलाता है
कि भक्ति का मार्ग
साधारण जीवन के बीच भी जिया जा सकता है।
इस ध्यान में आप अनुभव करेंगे—
• भक्ति का सबसे सरल और मानवीय स्वरूप
• क्यों भगवान पूर्णता नहीं, सच्चाई चाहते हैं
• कैसे थकान, उलझन और असमर्थता भी भक्ति का हिस्सा बन सकती है
• और कैसे भगवान हम तक पहुँचते हैं,
जब हम थोड़ा-सा ही सही, पर दिल खोलते हैं
यह ध्यान उनके लिए है—
जो जीवन की ज़िम्मेदारियों के बीच
ईश्वर से जुड़ना चाहते हैं,
पर खुद को “पर्याप्त” नहीं मान पाते।
🎧 कैसे सुनें:
शांत जगह पर बैठकर या लेटकर सुनें।
आँखें बंद रखें।
कुछ भी सिद्ध करने की कोशिश न करें।
बस सुनते रहें।
यदि इस ध्यान के दौरान
आपके भीतर कहीं ठहराव महसूस हो,
तो समझिए—
आप सही जगह पर हैं।
अगर यह ध्यान आपको छूता है,
तो इसे किसी ऐसे व्यक्ति तक ज़रूर पहुँचाइए
जिसे आज
इस कोमल स्मरण की आवश्यकता हो।
मैं शिवांगी, इस गीता-यात्रा में
मैं आपकी गुरु नहीं,
आपकी साथी हूँ—
जो हर अध्याय को
किताब से निकालकर
जीवन से जोड़ने की ईमानदार कोशिश कर रही है।
अगले ध्यान में
हम प्रवेश करेंगे
भगवद्गीता अध्याय 13 में—
जहाँ शरीर और साक्षी का रहस्य
बहुत शांति से खुलता है।
✨ जुड़े रहिए।
यह यात्रा आपके अकेले की नहीं है।
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