No MANTRA will be POWERFUL than this where LORD SHIVA IS PRAISED BY LORD RAMA | Shambhu Stuti
Автор: Sanatan Records
Загружено: 23 дек. 2024 г.
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Sanatan Records Presents- Shambhu Stuti शंभु स्तुति स्वयं श्री राम जी द्वारा रचित
Shambhu Stuti is a beautiful hymn found in the Brahma Mahapurana that praises Lord Shiv. It tells the story of Lord Rama praying to Shiva at Rameshwaram while building the Ram Setu, the bridge to reach Lanka and rescue Sita.
Shambhu stuti Lyrics and Hindi Meaning:
श्रीराम उवाच
नमामि शम्भुं पुरुषं पुराणं नमामि सर्वज्ञमपारभावम् ।
नमामि रुद्रं प्रभुमक्षयं तं नमामि शर्वं शिरसा नमामि ॥१॥
श्रीराम बोले- मैं पुराणपुरुष शम्भु को नमस्कार करता हूँ। जिनकी असीम सत्ता का कहीं पार या अन्त नहीं है, उन सर्वज्ञ शिव को मैं प्रणाम करता हूँ। अविनाशी प्रभु रुद्र को नमस्कार करता हूँ। सबका संहार करने वाले शर्व को मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूँ।
नमामि देवं परमव्ययं तमुमापतिं लोकगुरुं नमामि ।
नमामि दारिद्र्यविदारणं तं नमामि रोगापहरं नमामि ॥२॥
अविनाशी परमदेव को नमस्कार करता हूँ। लोकगुरु उमापति को प्रणाम करता हूँ। दरिद्रता को विदीर्ण करने वाले शिव को नमस्कार करता हूँ । रोगों का विनाश करने वाले महेश्वर को प्रणाम करता हूँ ।
नमामि कल्याणमचिन्त्यरूपं नमामि विश्वोद्भवबीजरूपम् ।
नमामि विश्वस्थितिकारणं तं नमामि संहारकरं नमामि ॥३॥
मैं उस कल्याणकारी और अचिन्त्य रूप को नमस्कार करता हूँ। मैं उस बीज को नमस्कार करता हूँ, जिससे सम्पूर्ण विश्व की उत्पत्ति हुई। मैं उस परमात्मा को नमस्कार करता हूँ, जो समस्त सृष्टि का कारण है।
मैं उस संहारक को नमस्कार करता हूँ, जो सबका संहार करने वाला है।
नमामि गौरीप्रियमव्ययं तं नमामि नित्यं क्षरमक्षरं तम् ।
नमामि चिद्रूपममेयभावं त्रिलोचनं तं शिरसा नमामि ॥४॥
पार्वतीजी के प्रियतम अविनाशी प्रभु को नमस्कार करता हूँ। नित्य क्षर-अक्षरस्वरूप शंकर को प्रणाम करता हूँ। जिनका स्वरूप चिन्मय है और अप्रमेय है, उन भगवान् त्रिलोचन को मैं मस्तक झुकाकर बारम्बार नमस्कार करता हूँ।
नमामि कारुण्यकरं भवस्य भयंकरं वाऽपि सदा नमामि ।
नमामि दातारमभीप्सितानां नमामि सोमेशम्मेशमादौ ॥५॥
करुणा करने वाले भगवान् शिव को प्रणाम करता हूँ तथा संसार को भय देने वाले भगवान् भूतनाथ को सर्वदा नमस्कार करता हूँ। मनोवांछित फलों के दाता महेश्वर को प्रणाम करता हूँ। भगवती उमा के स्वामी श्रीसोमनाथ को नमस्कार करता हूँ।
नमामि वेदत्रयलोचनं तं नमामि मूर्तित्रयवर्जितं तम् ।
नमामि पुण्यं सदसदद्व्यतीतं नमामि तं पापहरं नमामि ॥६॥
तीनों वेद जिनके तीन नेत्र हैं, उन त्रिलोचन को प्रणाम करता हूँ। त्रिविध मूर्ति से रहित सदाशिव को नमस्कार करता हूँ। पुण्यमय शिव को प्रणाम करता हूँ। सत्-असत् से पृथक् परमात्मा को नमस्कार करता हूँ। पापों को नष्ट करने वाले भगवान् हर को प्रणाम करता हूँ।
नमामि विश्वस्य हिते रतं तं नमामि रूपाणि बहूनि धत्ते ।
यो विश्वगोप्ता सदसत्प्रणेता नमामि तं विश्वपतिं नमामि ॥७॥
जो विश्व के हित में लगे रहते हैं, बहुत-से रूप धारण करते हैं, उन भगवान् शंकर को मैं प्रणाम करता हूँ। जो संसार के रक्षक तथा सत् और असत् के निर्माता हैं, उन विश्वपति (भगवान् विश्वनाथ) को मैं नमस्कार करता हूँ, नमस्कार करता हूँ।
यज्ञेश्वरं सम्प्रति हव्यकव्यं तथागतिं लोकसदाशिवो यः ।
आराधितो यश्च ददाति सर्वं नमामि दानप्रियमिष्टदेवम् ॥८॥
हव्य-कव्यस्वरूप यज्ञेश्वर को नमस्कार करता हूँ। सम्पूर्ण लोकों का सर्वदा कल्याण करने वाले जो भगवान् शिव आराधना करने पर उत्तम गति एवं सम्पूर्ण अभीष्ट वस्तुएँ प्रदान करते हैं, उन दानप्रिय इष्टदेव को मैं नमस्कार करता हूँ।
नमामि सोमेश्वरमस्वतन्त्रमुमापतिं तं विजयं नमामि ।
नमामि विघ्नेश्वरनन्दिनाथं पुत्रप्रियं तं शिरसा नमामि ॥९॥
भगवान् सोमनाथ को प्रणाम करता हूँ। जो स्वतन्त्र न रहकर भक्तों के वश में रहते हैं, उन विजयशील उमानाथ को मैं नमस्कार करता हूँ। विघ्नराज गणेश तथा नन्दी के स्वामी पुत्रप्रिय भगवान् शिव को मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूँ।
नमामि देवं भवदुःखशोकविनाशनं चन्द्रधरं नमामि ।
नमामि गङ्गाधरमीशमीड्यमुमाधवं देववरं नमामि ॥१०॥
संसार के दुःख और शोक का नाश करने वाले देवता भगवान् चन्द्रशेखर को मैं बारम्बार नमस्कार करता हूँ। जो स्तुति करने योग्य और मस्तक पर गंगाजी को धारण करने वाले हैं, उन महेश्वर को नमस्कार करता हूँ। देवताओं में श्रेष्ठ उमापति को प्रणाम करता हूँ।
पुरन्दरादिसुरासुरैरर्चितपानमाम्यजादीशदपद्मम् ।
नमामि देवीमुखवादनानामीक्षार्थमक्षित्रितयं य ऐच्छत् ॥११॥
ब्रह्मा आदि ईश्वर, इन्द्र आदि देवता तथा असुर भी जिनके चरण- कमलों की पूजा करते हैं, उन भगवान् को मैं नमस्कार करता हूँ। जिन्होंने पार्वतीदेवी के मुख से निकलने वाले वचनों पर दृष्टिपात करने की इच्छा से मानो तीन नेत्र धारण कर रखे हैं।
पञ्चामृतैर्गन्धसुधूपदीपैर्विचित्रपुष्पैर्विविधैश्च मन्त्रैः।
अन्नप्रकारैः सकलोपचारैः सम्पूजितं सोममहं नमामि ॥ १२॥
पंचामृत, चन्दन, उत्तम धूप, दीप, भाँति-भाँति के विचित्र पुष्प, मन्त्र तथा अन्न आदि समस्त उपचारों से पूजित भगवान् सोम को मैं नमस्कार करता हूँ।
Credits
Lyrics: Lord Shri Ram
© Composed, sung by: Ikshwaku Deopathak
Video: Team Multiversal
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