चलना है दूर मुसाफिर, काहे सोवे रे | Chalna Hai Door Musafir | kabir bhajan कबीर भजन
Автор: सनातन भक्ति धारा
Загружено: 2025-12-17
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चलना है दूर मुसाफिर, काहे सोवे रे 🙏
यह भजन संत कबीर की अमर रचना पर आधारित है।
कबीर दास जी इस भजन के माध्यम से मानव को जगाने का संदेश देते हैं —
कि जीवन की यात्रा लंबी है, समय कम है,
और माया-मोह, काम-क्रोध-लोभ में सोकर
हम अपनी अनमोल उम्र न गंवाएँ।
यह प्रस्तुति एक भावपूर्ण Female Voice भजन है,
जिसमें वैराग्य, आत्मबोध और भक्ति का गहरा भाव है।
शांत संगीत, सरल शब्द और आत्मा को छू लेने वाली आवाज़
मन को भीतर तक स्पर्श करती है।
🎵 यह भजन AI द्वारा जनरेट किया गया है
📜 रचना: संत कबीर (Public Domain)
🎧 Voice & Music: AI Generated
🕯️ शैली: भक्ति | वैराग्य | आध्यात्मिक
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🌸 कबीर साहेब की वाणी — मन की शांति के लिए 🌸
This bhajan is based on Sant Kabir Das Ji’s composition,
which is in the public domain.
Voice and music are generated using AI.
No copyright infringement intended.
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