श्री शनैश्चर स्तोत्रम ढैया हो या साढ़ेसाती शनिपीड़ा में अवश्य राहत मिलेगी | Shanivar Bhakti |
Автор: Sandip Pandya
Загружено: 2025-12-26
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Shani Stotra Path:शनिदेव को प्रसन्न करने ...दशरथ कृत शनि स्तोत्र के पाठ से शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और अन्य शनि दोषों से मुक्ति मिलती है, सभी संकट दूर होते हैं, कार्यों में आने वाली बाधाएँ हटती हैं, मानसिक शांति मिलती है, और करियर व कारोबार में सफलता मिलती है, जिससे जीवन में संतुलन, स्थिरता और समृद्धि आती है। यह स्तोत्र शनि देव को प्रसन्न कर उनके अशुभ प्रभावों को कम करने का एक शक्तिशाली उपाय माना जाता है।
दशरथ कृत शनि स्तोत्र के प्रमुख लाभ:
शनि दोषों से मुक्ति: साढ़ेसाती और ढैय्या के कठिन प्रभावों से राहत मिलती है।
संकट निवारण: जीवन के सभी दुख, कष्ट, रोग और दरिद्रता दूर होते हैं।
कार्य सिद्धि: नौकरी, व्यापार और अन्य रुके हुए काम पूरे होते हैं; कोर्ट-कचहरी के मामलों में सफलता मिलती है।
मानसिक शांति: मन को शांति, धैर्य और आत्मबल मिलता है, जिससे जीवन में संतुलन आता है।
शनि देव की कृपा: शनि देव प्रसन्न होते हैं और कर्मों के अनुसार शुभ फल देते हैं।
आर्थिक और आध्यात्मिक उन्नति: धन-समृद्धि बढ़ती है और आध्यात्मिक विकास होता है।
पाठ की विधि (संक्षेप में):
कब करें: शनिवार को स्नान के बाद, सूर्योदय के बाद या सूर्यास्त से पहले।
कैसे करें: काले या नीले वस्त्र पहनकर, शनि देव की तस्वीर या मूर्ति के सामने, सरसों के तेल का दीपक जलाकर, शांत मन से पाठ करें।
कितनी बार: शुभ फल के लिए दिन में तीन बार (सुबह, दोपहर, शाम) पाठ करने की सलाह दी जाती है।
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