बिहार राज्य के सांस्कृतिक नित्य।। By Manish sir
Автор: S.U Science Center
Загружено: 2025-12-13
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बिहार भारत का एक प्राचीन और ऐतिहासिक राज्य है, जिसकी संस्कृति अत्यंत समृद्ध और विविधतापूर्ण है। यहाँ की लोक संस्कृति में लोकगीतों, पर्व-त्योहारों और लोक नृत्यों का विशेष स्थान है। बिहार के लोक नृत्य यहाँ के सामाजिक जीवन, धार्मिक आस्था, कृषि परंपरा और ऐतिहासिक विरासत को दर्शाते हैं। ये नृत्य केवल मनोरंजन का साधन नहीं हैं, बल्कि समाज की भावनाओं और परंपराओं की अभिव्यक्ति भी हैं।
1. जट-जटिन नृत्य
जट-जटिन बिहार का एक प्रसिद्ध लोक नृत्य है, जो मुख्य रूप से मिथिला क्षेत्र में प्रचलित है। यह नृत्य पुरुष और महिला द्वारा युगल रूप में किया जाता है। इसमें पति-पत्नी के प्रेम, वियोग और संघर्ष को नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है। जट-जटिन नृत्य में भावनात्मक गीतों के साथ मधुर ताल का प्रयोग किया जाता है, जिससे ग्रामीण जीवन की सच्चाई झलकती है।
2. झिझिया नृत्य
झिझिया नृत्य बिहार का एक प्रमुख धार्मिक लोक नृत्य है, जो नवरात्रि के अवसर पर किया जाता है। इस नृत्य को महिलाएँ देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए करती हैं। नर्तकियाँ सिर पर छेददार मिट्टी के घड़े रखकर उसमें दीपक जलाती हैं और तालबद्ध नृत्य करती हैं। झिझिया नृत्य आस्था, श्रद्धा और सामूहिक एकता का प्रतीक है।
3. बिरहा नृत्य
बिरहा नृत्य मुख्यतः गोप और चरवाहा समाज से जुड़ा हुआ है। इस नृत्य में विरह और प्रेम की भावना को गीतों के माध्यम से व्यक्त किया जाता है। इसमें ढोलक और मंजीरे का प्रयोग होता है। बिरहा नृत्य ग्रामीण जीवन की भावनाओं को बहुत सरल और प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करता है।
4. कजरी नृत्य
कजरी नृत्य सावन के महीने में किया जाता है। यह नृत्य वर्षा ऋतु, हरियाली और प्रकृति की सुंदरता को दर्शाता है। महिलाएँ समूह में कजरी गीत गाते हुए नृत्य करती हैं। इसमें प्रेम, विरह और प्रकृति का सुंदर संगम देखने को मिलता है।
5. बिदेसिया नृत्य
बिदेसिया नृत्य बिहार की लोकनाट्य परंपरा से जुड़ा हुआ है। यह नृत्य प्रवासी मजदूरों के जीवन और उनकी पीड़ा को दर्शाता है। इसमें सामाजिक संदेश भी निहित होता है। बिदेसिया नृत्य मनोरंजन के साथ-साथ समाज को जागरूक करने का माध्यम है।
6. फगुआ नृत्य
फगुआ नृत्य होली के अवसर पर किया जाता है। इसमें रंग, उल्लास और मस्ती की झलक मिलती है। ढोल, मंजीरा और झांझ की धुन पर पुरुष और महिलाएँ समूह में नृत्य करते हैं। यह नृत्य आपसी प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है।
7. धोबिया नृत्य
धोबिया नृत्य बिहार के धोबी समुदाय द्वारा किया जाने वाला लोक नृत्य है। इसमें पारंपरिक वेशभूषा और लयबद्ध कदमों का सुंदर संयोजन देखने को मिलता है। यह नृत्य सामुदायिक एकता और सांस्कृतिक पहचान को दर्शाता है।
8. पैका नृत्य
पैका नृत्य बिहार का एक वीर रस से भरपूर लोक नृत्य है। इसमें युद्ध कौशल और साहस का प्रदर्शन किया जाता है। यह नृत्य ढोल-नगाड़ों की तेज धुन पर किया जाता है और बिहार की वीरता परंपरा को दर्शाता है।
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निष्कर्ष
बिहार के लोक नृत्य यहाँ की संस्कृति की आत्मा हैं। ये नृत्य न केवल मनोरंजन करते हैं, बल्कि सामाजिक मूल्यों, धार्मिक आस्थाओं और ऐतिहासिक परंपराओं को भी जीवित रखते हैं। आज के आधुनिक युग में भी बिहार के लोक नृत्य अपनी पहचान बनाए हुए हैं और देश-विदेश में बिहार की सांस्कृतिक विरासत का गौरव बढ़ा रहे हैं।
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