#GUNHAPADLA
Автор: VEDANT KRANTI वेदान्त क्रान्ति
Загружено: 2022-03-20
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Director & Ancer:: Jasbir (jassy) Baba Ladana
Edditor & Producer:: Sanju Kumar
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ॐ || कथा सिद्ध श्री बाबा राजपुरी जी महाराज || ॐ
भारत देश ऋषि-मुनियों की धरती है, इस पावन धरती के चप्पे-चप्पे पर अनेक संत पैदा हुए हैं जिन्होंने लोक कल्याण के लिए अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया अलग-अलग धर्मों में पैदा होने के बावजूद इन सभी महापुरुषों का एक ही संदेश है ओर है मानव कल्याण |
इन्हीं ऋषि-मुनियों में से एक महापुरुष के रूप में जिला कैथल की पावन धरा पर धन्य ग्राम लदाना में 17वीं शताब्दी के प्रथम दशक में एक सात्विक परिवार में एक अद्भुत बालक पैदा हुआ निरंतर भागनावेश में आत्मा, महानयोगी स्वच्छन्द मन ,शांत स्वभाव वाला बालक पैदा हुआ उस बालक का नाम रखा गया राजू | राजू को पशुओं की देखभाल में लगा दिया गया ऐसे महापुरुष किसी का विरोध या उपेक्षा नहीं करते वह हर कार्य को हरि इच्छा समझ लग जाते हैं | एक जाट परिवार के बालक होने के नाते आप प्रात से सायं तक पशुओं के संरक्षण में लगे रहते आप बहुत ही शांत स्वभावी ही आत्मोस्थिर रहते एसे अद्भुत लोक कल्याणकारी जनहित पुरुषों के साथ शक्ति स्वयं चलती है|
एक दिन राजू को महामाया आदि शक्ति ने जागृत किया उनमें सिध्दियां जागृत होने लगी अनेकों चमत्कारी घटनाए लीला रूप में होने लगी इन घटना चमत्कारों को देखकर माता-पिता तथा बंधु जनों व् गांव वासियों ने स्वेच्छा से गुरु धारण की आज्ञा दी तथा निकट के बाता गांव में जाकर “श्री सरस्वतीपुरी जी “ अपना गुरु बनाया |
लदाना गांव में दक्षिण दिशा में एक पंचवटी में तप साधना की ओर आत्मसाक्षात्कार किया श्री राजपुरी महाराज को कोटि-कोटि प्रणाम
“ सदाचरण मैं हूं तुम्हारी,
दीजो यह वरदान,
अल्प बुद्धि का जीव हूँ करना माफ कसूर,
और कोई ना शरण मिली जाऊं कहां हजूर ||जय हो बाबा शिव् अव्दुता” ||
इनमें से सातवीं पीढ़ी के महान संत बाबा तोतापुरी जी महाराज योगरत रहे जो बाद में जाकर स्वामी रामकृष्ण परमहंस के योग गुरु हुए | महंत ईश्वरपुरी जी के बयाननुसार अनुसार सन14नवम्बर 1884 को समाधि में लीन हो गये |
यहां पर 22 महंत हुए है|#vedantkranti
डेरे की परंपरा के अनुसार शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन यज्ञ किया जाता है | यह यज्ञ पहले नवरात्रे से शुरू होता है, शीतल मन और सुगंध वायु चलती है जो किसी दिव्य शक्ति के होने का एहसास दिलाती है यज्ञ में शामिल होने वाले भक्तों व् महंतो कहना है कि किसी दिव्य शक्ति के होने का एहसास होता है |
डेरे के प्रांगण में एक जाल वृक्ष है जो हजारों साल पुराना है इसी वृक्ष के नीचे श्री बाबा राजपुरी जी ने तपस्या की थी जो वृक्ष आज भी ज्यों का त्यों है | अष्टमी की अगली सुबह किसी एक टहनी पर एक लाल रंग का धागा बंधा मिलता है जिसे मोली का धागा भी कहते हैं जिसे किसी दिव्य शक्ति के आने का पता चलता है डेरे के महंतों का कहना है कि रात में महामाई जी बाबा राजपुरी को दर्शन देने आती है|
गुरु जी एक बार माता हिंगलाज के दर्शन की इच्छा करते यात्रा शुरू की गुजरात होते हुए और पाकिस्तान के बलूचिस्तान के दुर्गम रास्तों को पार कर हिंगोल नदी के किनारे हिंगोल पर्वत पर हिगोंल शक्तिपीठ के नजदीक जाकर महामाया हिंगलाज की पूजा अर्चना पूजा अर्चना की, यह 52 शक्तिपीठों में प्रथम है, शिवपुराण के अनुसार यहां पर महासती का यहाँ शीश गिरा था | उस पूजा पाठ के बाद माँ ने बाबा राजपुरी जी को वरदान दिया कि हर अश्विन शुक्ल अष्टमी के दिन मै स्वयं तुम्हें दर्शन देने के लिए आपके आश्रम बाबा लदाना में आया करूंगी तथा एक वरदान ओर दिया जो भी मनुष्य आपके दर पर आकर जो भी मन्नत मांगेगा कुछ क्षण में पूर्ण करूंगी | आपका नाम संसार भर में फैल जाएगा |उस दिन के बाद से ही आज वर्तमान में भी बाबा लदाना में स्थित मठ में जो प्रार्थना करता है मन्नत मांगता है, अवश्य ही पूर्ण होती है यह शत प्रतिशत शुद्ध है क्योंकि महामाई का वरदान झूठा नहीं हो सकता है|
एक बार बाबा जी ने गांव तथा आसपास के गांव के लोगों को इकट्ठा किया वह कहा कि अश्विन शुक्ल एकादशी के दिन में इस नश्वर शरीर का त्याग करूँगा तथा भगवान की शरण में लीन हो जाऊंगा इससे पहले आपको जो वरदान चाहिए मांग लो सभी नगर वासियों ने कहा कि यही वरदान दो कि आप सदा यहां निराकार रूप में रहकर हमारी रक्षा करना तथा जो भी आपके दर पर आए उसकी सभी इच्छा पूर्ण हो |श्री सिद्ध बाबा राजपुरी जी ने यह वरदान देकर निर्धारित समय पर आश्विन शुक्ल एकादशी को समाधि में लीन हो गए |
आज भी यहां पर निराकार रूप में भगवान राजपुरी जी आने वाले भक्तों को कृपा रुपी प्रसाद बांट रहे हैं | आज भी आश्विन शुक्ल एकादशी के दिन भारी मेला लगता है तथा लाखों की संख्या में भक्तगण आकर अपना कल्याण करते हैं तथा अपने जीवन के पापों से मुक्ति पाते हैं पशुओं की रक्षा व समृद्धि के लिए घी माखन चढ़ाया जाता है दूध से बनी मिठाई प्रसाद एवं फल चढ़ाते हैं आस्थावान लोगों की अपार श्रद्धा है वह अपनी कमाई का दसवां हिस्सा भी दान करते हैं जो ऐसा करते हैं उनको अथाह तरक्की प्राप्त होती है |
वर्तमान में भी बाबा राजपुरी जी शक्ति के कई चमत्कार मौजूद हैं ऐसी बहुत सी घटनाएं हैं जो आज भी अहसास करवाती है कि ऐसे ईश्वर ही राजपुरी जी समाधि के रूप में स्थित हैं आज भी बाबा लदाना में राजपुरी
धन्य है ये पावन धरा ,धन्य है वो गाँव जहाँ है जहां पर ऐसे अवतारी सिद्ध बाबा राजपुरी जी ने जन्म लिया तप किया तथा निराकार रूप आज भी स्थित है |
|| जय बाबा राजपुरी जी ||
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