गुरु से ज्ञान की प्राप्ति और आत्मज्ञान का मार्ग (श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 4 श्लोक 34–35)
Автор: arushi rajput
Загружено: 2025-12-19
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श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 4 के श्लोक 34 और 35 में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को सच्चे ज्ञान की प्राप्ति का मार्ग बताते हैं।
इन श्लोकों में गुरु की महिमा, विनम्रता, प्रश्न करने की भावना और सेवा के महत्व को स्पष्ट किया गया है।
श्लोक 34 में बताया गया है कि तत्वज्ञान को जानने के लिए ज्ञानी गुरु के पास जाकर विनम्रता, प्रश्न और सेवा आवश्यक है, क्योंकि आत्मज्ञानी गुरु ही सत्य का बोध कराते हैं।
श्लोक 35 में भगवान कहते हैं कि इस ज्ञान को प्राप्त करने के बाद मनुष्य फिर कभी मोह में नहीं पड़ता और वह सभी प्राणियों में परमात्मा को देखता है।
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