#देवास
Автор: Desi Krishi Nalkheda
Загружено: 2025-12-10
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इंदौर से देवास माताजी तक जाने की संपूर्ण जानकारी है इस वीडियो में तो इस वीडियो को अंत तक जरूर देखें
😇 इंदौर से देवास टेकरी माताजी ❤️
देवास वाली माता की कहानी, मध्य प्रदेश की देवास टेकरी पर स्थित तुलजा भवानी (बड़ी माँ) और चामुंडा देवी (छोटी माँ) से जुड़ी है, जहाँ माना जाता है कि देवी सती का रक्त गिरा था, इसलिए इसे रक्तपीठ कहते हैं; कथा के अनुसार, एक बार क्रोध में दोनों बहनें अलग होने लगीं, जहाँ तुलजा भवानी पाताल में समाने लगीं और चामुंडा देवी नीचे उतरते समय मार्ग अवरुद्ध होने से उसी अवस्था में विराजमान हो गईं, और आज भी ये माताएँ अपने इसी स्वरूप में पूजी जाती हैं, जिनकी मन्नतें पूरी होती हैं.
कथा का सार:
शक्तिपीठ का उद्भव:
देवास टेकरी पर माता सती के रक्त की बूंदें गिरी थीं, जिससे यह स्थान एक शक्तिशाली "रक्तपीठ" कहलाया और यहीं से माँ चामुंडा देवी प्रकट हुईं.
बहनें और विवाद:
तुलजा भवानी (बड़ी माँ) और चामुंडा देवी (छोटी माँ) के बीच बहन का रिश्ता था. एक बार किसी बात पर विवाद होने पर वे स्थान छोड़कर जाने लगीं.
विग्रह का क्षण:
क्रोधवश बड़ी माँ पाताल लोक में समाने लगीं, और छोटी माँ टेकरी छोड़कर नीचे उतरने लगीं. मार्ग अवरुद्ध होने के कारण वे जिस अवस्था में थीं, उसी रूप में टेकरी पर रुक गईं.
स्वयंभू प्रतिमाएँ:
हनुमानजी और भेरूबाबा ने उन्हें रुकने की विनती की, और तभी से माताएँ अपने इसी विग्रह रूप में विराजमान हैं, जिन्हें स्वयंभू और जागृत माना जाता है.
मंदिर की विशेषताएँ:
दो स्वरूप:
बड़ी माँ तुलजा भवानी और छोटी माँ चामुंडा देवी.
रक्तपीठ:
माता सती के रक्त गिरने से इसे रक्तपीठ का दर्जा मिला है, यह 52 शक्तिपीठों में से एक है.
स्वरूप परिवर्तन:
माना जाता है कि माता दिन में तीन रूप (बाल्यावस्था, युवावस्था, वृद्धावस्था) बदलती हैं.
परिक्रमा:
यहाँ परिक्रमा पथ, रोपवे और सीढ़ियों से माता के दर्शन किए जाते हैं, जहाँ हनुमानजी, भैरव बाबा और कालिका माता के मंदिर भी हैं.
महत्व:
भक्तों की सच्ची मन्नतें पूरी होती हैं.
नवरात्रि में विशेष पूजा-अर्चना होती है और देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं.
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