- विभिन्न वैष्णव परंपराओं में वृंदा देवी के महत्त्व पर विद्वानों ने रखे विचार- वृंदा देवी.
Автор: Vri Vrindavan
Загружено: 2025-11-21
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विभिन्न वैष्णव परंपराओं में वृंदा देवी के महत्त्व पर विद्वानों ने रखे विचार
वृंदा देवी की कृपा से ही श्रीराधा कृष्ण की लीलाओं से साक्षात्कार संभव
ब्रजोत्सव के तीसरे दिन वन देवी वृंदा पर व्याख्यान के साथ ही तुलसी कंठी की कार्यशाला आयोजित
वृृंदावन शोध संस्थान में शुक्रवार को ब्रजोत्सव-2025 के तीसरे दिन ब्रजस्थ वैष्णव परम्परायें और वन देवी वृंदा शीर्षक व्याख्यान, ब्रज की तुलसी कंठीमालाः विभिन्न वैष्णव संप्रदायों के संदर्भ में विषयक कार्यशाला, वनमाली ट्री वाॅक एवं वन देवी वृंदा विषयक प्रदर्शनी परिभ्रमण आदि कार्यक्रम संपन्न हुए। व्याख्यान के दौरान अध्यक्षीय उद्बोधन में आचार्य श्रीवत्स गोस्वामी ने कहा कि वृंदा देवी की कृपा से ही साधक जन राधा कृष्ण की लीलाओं से साक्षात्कार करने में समर्थ होते हैं। वृंदा देवी मनोवा´छा पूर्ण करने वाली देवी है। उन्होंने कहा ब्रज के साधकों ने वृन्दा देवी से जुड़े संदर्भों को बहुविधि रेखांकित किया है। मुख्यवक्ता डाॅ0 चन्द्रप्रकाश शर्मा ने बताया कि वैष्णव संप्रदायों ने वृंदा देवी को भगवदीय स्वरूप माना है। वैष्णवों ने वृंदा और गोविंद में अभेद माना है। वृंदा देवी के कई मंदिर वृंदावन में थे। वर्तमान में वृंदा देवी का मंदिर कामा में है। वृंदा सखी की कृपा से ही वृंदावन वास प्राप्त होता है। डाॅ. गोविंद कृष्ण पाठक ने कहा वृंदा देवी को लेकर ब्रजभाषा में प्रचुर साहित्य की रचना की गई है। वृंदावन के आकर्षण में बँधकर पूरे भारत से साधक एवं भक्तजन यहाँ आते है। संस्कृति सेवी डाॅ0 इंदु राव ने बताया कि श्री वृंदावन ही पृथ्वी का बैकुंठ कहा गया है। उन्होंने कहा ब्रज के साधकों द्वारा रचित साहित्य से वृन्दा देवी की महत्ता उद्घाटित होती है। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ ठा0 बांकेबिहारी के चित्रपट पर माल्यार्पण से हुआ। कार्यक्रम का शुभारम्भ वैदिक यात्रा गुरूकुल के छात्रों द्वारा स्वस्तिवाचन से हुआ। अतिथियों का स्वागत संस्थान के निदेशक महोदय द्वारा पटुका उढ़ाकर किया गया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ0 राजेश शर्मा एवं श्रीमती ममता गौतम द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन में संस्थान के निदेशक डाॅ0 राजीव द्विवेदी ने कहा कि संस्थान द्वारा ब्रज की परंपराओं के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए ब्रजोत्सव का आयोजन किया गया है। नई पीढ़ी को ब्रज की परंपराओं से जोड़ना आवश्यक है। कंठी माला प्रशिक्षण कार्यशाला में वनमाली दास एवं श्रीमती ममता ने विद्यार्थियों की विभिन्न वैष्णव सम्प्रदाय की कंठी की विशेषताओं से अवगत कराया साथ ही तुलसी के काष्ठ पर राधा एवं कृष्ण नामाक्षर के अंकन का प्रशिक्षण भी दिया। हनुमान प्रसाद धानुका बलिका स0वि0मं0, अमर ज्योति इण्टर काॅलेज, सरस्वती विद्या मंदिर, छाता, के छात्र-छात्राओं ने कंठी प्रशिक्षण कार्यशाला में प्रतिभाग किया। श्रीमती पद्मावती द्विवेदी ने वनमाॅली ट्री वाॅक के दौरान विद्यार्थियों को ब्रज की वृक्ष-संपदा से अवगत कराया। इस दौरान सुमनकांत पालीवाल, आचार्य मनोज मोहन शास्त्री, नामदेवी, ब्रजभूषण चतुर्वेदी, डाॅ0 राजेन्द्रकृष्ण अग्रवाल, प्रभुदास बाबा, ठा0 काली चरन सिंह, राधाचरण दास, मदन मोहन दास आदि सहित समस्त संस्थान कर्मी उपस्थित रहे।
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