“🥺🎧खामोशियां ही रह गईं🥺❤️🩹💔💔❤️🔥❤️🔥💔
Автор: Pranish music
Загружено: 2025-12-15
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शीर्षक: “खामोशियां ही रह गईं”
(इंट्रो)
रात की खामोशी, हेडफोन की आवाज़,
तेरी यादें आज फिर, दिल के पास…
(अंतरा 1)
तेरे बिना ये कमरे, अजनबी से लगते हैं,
दीवारों पे भी अब, साए से चुभते हैं।
जो बातें तूने कही थीं, वो अधूरी रह गईं,
हम साथ तो थे कभी, पर दूरियां बढ़ गईं।
(प्री-कोरस)
तू हँसती रही किसी और के लिए,
और मैं टूटता रहा, बस तेरे लिए।
(कोरस)
तू चली गई, कुछ कहे बिना,
और खामोशियां ही रह गईं।
हमने जो सपने देखे थे कभी,
वो तस्वीरों में ही रह गईं।
(अंतरा 2)
तेरा नाम लिखूँ आज भी, हाथ काँप जाते हैं,
कुछ जख्म ऐसे होते हैं, जो वक्त से भी ना जाते हैं।
मैसेज ड्राफ्ट में हैं, पर भेजा नहीं जाता,
दिल रोज़ रोता है, पर किसी को बताया नहीं जाता।
(प्री-कोरस)
तेरी आदतें आज भी साथ चलती हैं,
पर तू नहीं है, ये बात हर पल जलती है।
(कोरस)
तू चली गई, कुछ कहे बिना,
और खामोशियां ही रह गईं।
मेरी हर दुआ अधूरी सी,
बस तन्हाइयां ही रह गईं।
(ब्रिज)
अगर मिलो कभी, तो अजनबी बनकर मिलना,
क्योंकि टूटे दिल को, हक नहीं फिर से पिघलना।
(आउट्रो)
लो-फाइ बीट्स में अब दर्द बहता है,
तू नहीं है, फिर भी दिल तुझे ही चाहता है…
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