लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने क्यों किया कच्छवाहा वंश का अपमान करने वाला कवि का सम्मान।dr karni Pratap
Автор: Dr Karni Pratap
Загружено: 2024-10-28
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राजस्थान के कच्छवाहा वंश का गौरव और सनातन धर्म की रक्षा में उनका योगदान | महंत डॉ. करणी प्रताप का ऐतिहासिक खुलासा
हमारे इतिहास में कुछ ऐसे वीर योद्धा और महान राजा हुए हैं, जिनके बलिदान, बुद्धिमत्ता, और शौर्य को आज भी याद किया जाता है। इनमें प्रमुख नाम है राजस्थान के कच्छवाहा वंश का, जिन्होंने अपनी कुर्बानी और साहस से न केवल अपने राज्य की रक्षा की बल्कि सनातन धर्म को संरक्षित और सुरक्षित भी किया। इस वीडियो में हम विस्तार से चर्चा करेंगे कि कैसे कच्छवाहा वंश ने मुगलों के आक्रमणों के बावजूद हमारे मंदिरों, देव प्रतिमाओं, और हिंदू धर्म की रक्षा की।
महंत डॉ. करणी प्रताप का ऐतिहासिक खुलासा और सत्य की स्थापना
महंत डॉ. करणी प्रताप जी आज के इस वीडियो में कच्छवाहा वंश के ऐतिहासिक और गौरवमयी पहलुओं को उजागर कर रहे हैं, जिनकी वीरता को कई इतिहासकारों ने विकृत करने की कोशिश की है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतिहास को विकृत करने के प्रयासों के चलते आज हमारे समाज में कई गलत धारणाएं पनप गई हैं। राजस्थान के एक राज्य के युवराज, श्री लक्ष्यराज सिंह मेवाड़, ने हाल ही में एक कवि का सम्मान किया, जिसने जयपुर के राजा मिर्जा मान सिंह प्रथम के फैसलों पर गलत टिप्पणी की। इसके विपरीत, यह हमारे लिए और भी महत्वपूर्ण है कि हम उन महान प्रयासों को समझें और स्वीकारें जो कच्छवाहा राजाओं ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए किए।
कच्छवाहा राजाओं का सनातन धर्म के प्रति समर्पण
जयपुर के कच्छवाहा राजा केवल अपने राज्य के रक्षक ही नहीं थे, बल्कि सनातन धर्म के भी महान रक्षक थे। उन्होंने ऐसे कई उदाहरण प्रस्तुत किए हैं, जो दिखाते हैं कि किस प्रकार उन्होंने हिंदू धर्म को सुरक्षित रखने के लिए न केवल बहादुरी से लड़ाई लड़ी, बल्कि हमारे महत्वपूर्ण धरोहरों और धार्मिक स्थलों की भी रक्षा की। उदाहरण के लिए:
• जगन्नाथ पुरी मंदिर और गंगा मंदिर जैसे भव्य और पवित्र मंदिरों का निर्माण किया, जो आज भी हमारे गौरवशाली अतीत की गवाही देते हैं।
• जब मुगलों का हमला तेज हुआ और देव प्रतिमाओं के विनाश का सिलसिला शुरू हुआ, तो जयपुर के राजाओं ने गोविंद देव जी की प्रतिमा को अपनी शरण में लेकर मुगलों से बचाया, और इस तरह सनातन धर्म की अमूल्य धरोहर को सुरक्षित रखा।
यह देखना वाकई विडंबनापूर्ण है कि ऐसे समय में जब हमारा कर्तव्य होना चाहिए कि हम अपने इतिहास और धर्म की रक्षा करें, राजस्थान के एक राज्य के युवराज, लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने एक ऐसे कवि का सम्मान किया, जिसने हमारे गौरवशाली कच्छवाहा वंश के बारे में गलत तथ्यों का प्रचार किया। यह न केवल कच्छवाहा वंश के शौर्य पर सवाल उठाने जैसा है, बल्कि हमारे धर्म के प्रति उनके योगदान को भी अनदेखा करने जैसा है। महंत डॉ. करणी प्रताप जी ने इस मामले पर सही दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए कच्छवाहा राजाओं के उस गौरवशाली इतिहास को हमारे सामने लाने का कार्य किया है, जिसे इतिहासकारों और कवियों द्वारा विकृत किया गया है।
It’s disheartening to witness a royal leader like Lakshyaraj Singh Mewar endorse a poet who undermines the Kachwaha dynasty’s legacy rather than condemn such distortion
Today, it is essential for every Hindu to honor the sacrifices and wisdom displayed by the Kachwaha dynasty. Sadly, some historians and writers have tried to minimize their contributions, questioning their loyalty and devotion to Hinduism. But the truth is clear: the Kachwaha dynasty consistently protected Sanatan Dharma, sometimes even at great personal risk. Understanding and respecting their legacy is not only a tribute to the past but a means to strengthen our unity and reverence for Hindu values.
The Kachwaha kings of Jaipur were not only protectors of their realm but also custodians of Sanatan Dharma. They led by example, showcasing their faith through actions and accomplishments.
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