“दीन दयाल विरद संभारी, हरहु नाथ मम संकट भारी।”
Автор: @officialAMBRISH7373
Загружено: 2025-12-14
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हे नाथ!
आपका स्वभाव ही दीनों पर दया करना है—
इसी अपने धर्म को स्मरण करके
मेरे भारी संकटों को दूर कीजिए।
भावार्थ
भक्त श्री हनुमान जी से विनती कर रहा है कि
आप सदा दुखियों की सहायता करने वाले हैं,
इसी करुणा के कारण मेरे जीवन के कष्टों का नाश करें।
अगर आप चाहें तो मैं पूरी हनुमान चालीसा का भावार्थ,
या इस दोहे का आध्यात्मिक अर्थ भी समझा सकता हूँ।
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