बस्तर के धुरवा जनजाति का पारंपरिक उलेर नृत्य.
Автор: Cg Vihar
Загружено: 2025-02-12
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बस्तर के धुरवा जनजाति का पारंपरिक उलेर नृत्य जो कि प्रतिवर्ष फसल कटाई और दियारी त्योहार के बाद फरवरी माह में किया जाता है। धुरवा जनजाति की महिलाएं अपनी मातृभाषा धुरवी में ही गीत गाते हुए नृत्य करती हैं। अपने पारंपरिक वेश- भूषा में इस नृत्य को किया जाता है। इस नृत्य में अच्छी फसल के लिए अपने देवी- देवता को धन्यवाद देते हैं। मध्य छत्तीसगढ़ जिस तरह छेर- छेरा पर्व में नाच- गाकर अनाज इकट्ठा किया जाता है कुछ ऐसे ही उलेर नृत्य करके भी अनाज इकट्ठा करते हैं।
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