दुनिया को समझने का रहस्य: योग वशिष्ठ सर्ग 76–80 का विश्लेषण
Автор: सीधी चोट
Загружено: 2025-12-01
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दुनिया को समझने का रहस्य: योग वशिष्ठ सर्ग 76–80 का विश्लेषण
क्या आपको लगता है कि दुनिया आपको दुख देती है?
नहीं।
सुख हो या दुख—
दोनों का निर्माता मन ही है।
गुरु वशिष्ठ राम से कहते हैं—
“राम, मन दुख का पात्र नहीं—दुःख की फैक्टरी है।”
स्थिति प्रकरण के सर्ग 76–80
मन की पाँच गहरी कमज़ोरियों को उजागर करते हैं—
🔥 १. मन हर बात में अपना महत्त्व खोजकर दुखी होता है
किसी ने सम्मान न दिया—मन रोता है।
किसी ने ध्यान न दिया—मन टूटता है।
🔥 २. मन विरोध से नहीं,
अपनी ही कल्पना से जलता है
जिसने कुछ कहा भी नहीं—
मन उसी को दुश्मन बना लेता है।
🔥 ३. मन भीतर खाली होने पर बाहर चीज़ों में टिकता है
रिश्ते, प्रशंसा, लोग—
मन इन्हें पकड़कर जीता है और टूटता है।
🔥 ४. मन जितना दबाते हैं,
उतना ही उग्र होता है
मन को चुप कराना आग पर मिट्टी डालना है—
आग भीतर ही धधकती रहती है।
🔥 ५. समाधान—मन से हटकर साक्षीभाव में ठहरना
मन को बदलने की जरूरत नहीं,
उससे परे उठने की जरूरत है।
गुरु वशिष्ठ सटीक कहते हैं—
“राम, मन को जान लेने वाला
संसार से ऊपर उठ जाता है।”
यह वीडियो उन लोगों के लिए है
जो मन की थकावट, भ्रम, अपेक्षाओं और प्रतिक्रियाओं में फँस चुके हैं
और मुक्ति चाहते हैं।
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