Prayagraj Mahakumbh 2025 | वसुधैव कुटुम्बकम् के पर्याय बनल महाकुंभ मेला | मिथिला स इटली केर संगम
Автор: Mithila Talkies (मिथिला टॉकीज)
Загружено: 2025-01-25
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वसुधैव कुटुम्बकम् अर्थात सारा विश्व एक परिवार है, सनातन संस्कृति के गहरे दर्शन से निकली है। इसी संस्कृति का प्रतीक है, प्रयागराज का महाकुंभ। संगम तट पर केवल आस्था का प्रवाह ही नहीं है। उस आध्यात्म की भी ज्योति पुंज है जो विश्व के कल्याण की बात करती है। यही कारण है कि यहां दुनिया की सभी संस्कृति का समागम दिखता है। मिथिला से लेकर इटली तक से आए श्रद्धालु एक ही संस्कृति में पिरोए हुए हैं।
प्रत्येक 12 साल पर पूर्ण कुंभ लगता है। 12 पूर्ण कुंभ के बाद महाकुंभ मेला लगता है। यानी 2025 का महाकुंभ 144 वर्ष बाद आया है। अगला महाकुंभ 144 साल बाद आएगा। पौष पूर्णिमा पर 13 जनवरी 2025 को आरंभ हुए इस महाकुंभ का समापन महाशिवरात्रि पर 26 फरवरी 2025 को होगा।
इस बार महाकुंभ में कुल 6 राजसी स्नान होने हैं। इनमें 2 संपन्न हो चुके हैं। अब मौनी अमावस्या 29 जनवरी, बसंत पंचमी 3 फरवरी, माघी पूर्णिमा 12 फरवरी और महाशिवरात्रि 26 फरवरी का राजसी स्नान शेष है।
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