गायत्री मंत्र I DIVINE AND POWERFUL GAYATRI MANTRA
Автор: Adhyatm TV
Загружено: 2024-11-24
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गायत्री महामंत्र का अर्थ: “ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् ।।” अर्थात 'उस प्राणस्वरुप, दुखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा का हम ध्यान करें. वह परमात्मा हमारी बुद्धि को संमार्ग में प्रेरित करे.
गायत्री मंत्र के कुछ शब्दों के अर्थ:
ॐ: सर्वरक्षक परमात्मा ,भू: प्राणों से प्यारा ,भुव: दुख विनाशक ,स्व: सुखस्वरूप, तत्: उस सवितु: (उत्पादक, प्रकाशक, प्रेरक ),वरेण्य: वरने योग्य ,भर्गो: शुद्ध विज्ञान स्वरूप का, देवस्य: देव के,धीमहि: हम ध्यान करें
गायत्री मंत्र को चारों वेदों का मुख्य सार तत्व माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि गायत्री मंत्र से ही चारों वेदों की उत्पत्ति हुई है. गायत्री मंत्र का जाप करने से मन शांत और एकाग्र रहता है.
गायत्री माता की पूजा करना और मंत्र का जाप करना बहुत ही लाभदायक होता है I
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