मेरे बेटे और बहू ने मुझे अपनी शादी से निकाल दिया
Автор: JusticeTalesHindi
Загружено: 2025-12-01
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शादी वाले दिन मैं अपने ही बेटे की शादी में पहुँची… और गेट पर मेरा नाम लिस्ट में ही नहीं था।
स्टाफ ने कहा – “आंटी, आपका नाम गेस्ट लिस्ट में नहीं है।”
कुछ ही देर बाद मेरा बेटा आया और ठंडे चेहरे से बोला –
“माँ, आपने सच में सोचा था कि आपको इनवाइट किया जाएगा?”
उस पल मैंने सिर्फ़ ये किया – मैं चुपचाप मुस्कुराई, उसे आशीर्वाद दिया… और गेट से वापस मुड़ गई।
उसे नहीं पता था, उसी रात मैंने भी फैसला कर लिया था – अब मैं माँ नहीं, सिर्फ़ अपने आप की जिम्मेदार हूँ।
अगले ही दिन बैंक का फोन, ईएमआई फेल, क्रेडिट कार्ड बंद, बिल रुके, नौकरी पर सवाल…
जिस बेटे ने मुझे “इमेज” के लायक नहीं समझा, उसे पहली बार पता चला कि उसकी पूरी “इमेज” मेरे पैसे, मेरे त्याग और मेरे नाम पर टिकी हुई थी।
यह कहानी है एक ऐसी माँ की, जिसने ज़िंदगी भर देने के बाद पहली बार अपने लिए “ना” कहा।
अगर आप भी माँ हैं, या किसी माँ की औकात को हल्के में ले चुके हैं, तो यह कहानी आपके लिए एक आईना है।
👉 अंत तक ज़रूर सुनना, क्योंकि आख़िर में मैं वही सवाल पूछती हूँ जो शायद आपके दिल में भी है –
“माँ होना क्या लाइफ़टाइम गुलामी है… या इज़्ज़त के साथ जीने का भी हक़ है?”
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आप किस शहर से ये कहानी सुन रहे हैं, और आज आप अपनी माँ या पापा के लिए क्या छोटा-सा बदलाव लाने वाले हैं?
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