शिवपूजन सहाय । Class 9 Kids Eguides
Автор: Kids Eguides
Загружено: 2023-11-25
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शिवपूजन सहाय का जन्म 1893 ई० में उनवाँस, बक्सर (बिहार) में हुआ था। उनके बचपन का नाम भोलानाथ था। दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने बनारस की अदालत में नकलनवीस की नौकरी की। बाद में वे हिंदी के अध्यापक बन गए। असहयोग आंदोलन के प्रभाव से उन्होंने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। शिवपूजन सहाय अपने समय के लेखकों में बहुत लोकप्रिय और सम्मानित व्यक्ति थे। उन्होंने 'जागरण', 'हिमालय', 'माधुरी', बालक आदि कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं का संपादन किया। इसके साथ ही वे हिंदी की प्रतिष्ठित पत्रिका 'मतवाला' के संपादक मंडल में थे। सन् 1963 में उनका देहांत हो गया। बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् तो उन्हीं की कल्पना का साकार रूप है। इन गतिविधियों में अतिशय व्यस्त रहने के कारण उन्हें स्वलेखन का कम अवसर मिलता था। 'देहाती दुनिया' उनका एकमात्र उपन्यास है जो ग्रामीण परिवेश को ठंठ भाषा में उभारता है। इसे आगे चलकर लिखे गए आंचलिक उपन्यासों को पूर्वपीठिका कहा जा सकता है। 'कहींडी का प्लॉट' और 'मुंडमाल' जैसी मार्मिक कहानियाँ लिखकर उन्होंने हिंदी कथा साहित्य को श्रीवृद्धि की है।
'विभूति', 'देहाती दुनिया', 'दो घड़ी', 'वे दिन वे लोग', 'बिम्ब-प्रतिबिम्ब' आदि पुस्तकों के अलावा उनके सैकड़ों लेख, निबंध आदि समय-समय पर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं एवं संग्रहों में प्रकाशित-संकलित होते रहे हैं। उनकी रचनाओं का संकलन 'शिवपूजन रचनावली' नाम से चार खंडों में बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, पटना द्वारा प्रकाशित है।
इस कहानी में कहानीकार ने समाज में नारी का स्थान निर्धारित करने के क्रम में तिलक-दहेज की निर्मम प्रथा, वृद्ध विवाह आदि की विसंगतियों का मार्मिक दस्तावेज प्रस्तुत किया है। तिलक-दहेज की क्रूरता की शिकार भगजोगनी एक युद्ध के गले ब

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