2026 सारी टेंशन दूर कर देगा यह भजन ~ Buddha Geet 2026 ~ Buddha Bhajan 2026 ~ Buddha Prathna 2026
Автор: Aadinath Sursagar
Загружено: 2025-12-28
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2026 सारी टेंशन दूर कर देगा यह भजन ~ Buddha Geet 2026 ~ Buddha Bhajan 2026 ~ Buddha Prathna 2026
सम्मेत्त शिखर, राजगिर, पावापुरी, गिरनार, शत्रुंजय पावागढ़ आदि जैनों के प्रसिद्ध तीर्थ हैं। पर्यूषण पर्व व महावीर स्वामी जन्म कल्याणक इनके मुख्य त्यौहार हैं। अहमदाबाद, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बंगाल राजस्थानआदि के अनेक जैन आजकल भारत के अग्रगण्य उद्योगपति और व्यापारियों में गिने जाते हैं।
जैन ग्रंथो के अनुसार धर्म वस्तु का स्वाभाव समझाता है, इसलिए जब से सृष्टि है तब से धर्म है, और जब तक सृष्टि है, तब तक धर्म रहेगा, अर्थात् जैन धर्म सदा से अस्तित्व में था और सदा रहेगा। इतिहासकारो द्वारा [2][3][4][5][6] जैन धर्म का मूल भी सिंधु घाटी सभ्यता से जोड़ा जाता है जो हिन्द आर्य प्रवास से पूर्व की देशी आध्यात्मिकता को दर्शाता है। सिन्धु घाटी से मिले जैन शिलालेख भी जैन धर्म के सबसे प्राचीन धर्म होने की पुष्टि करते है। [7][8][9] अन्य शोधार्थियों के अनुसार श्रमण परम्परा ऐतिहासिक वैदिक धर्म के हिन्द-आर्य प्रथाओं के साथ समकालीन और पृथक हुआ।[10]
जैन ग्रंथो (आगम्) के अनुसार वर्तमान में प्रचलित जैन धर्म भगवान आदिनाथ के समय से प्रचलन में आया। यहीं से जो तीर्थंकर परम्परा प्रारम्भ हुयी वह भगवान महावीर या वर्धमान तक चलती रही जिन्होंने ईसा से ५२७ वर्ष पूर्व निर्वाण प्राप्त किया था। भगवान महावीर के समय से पीछे कुछ लोग विशेषकर यूरोपियन विद्वान् जैन धर्म का प्रचलित होना मानते हैं। जैन धर्म बौद्ध धर्म से पुराना है इसका बौद्ध धर्म से कोई नाता नहीं है।
भारत की 1.028 अरब जनसंख्या में 4,200,000 लोग जैन धर्म के अनुयायी हैं, यद्यपि जैन धर्म का प्रसार बहुत दूर तक है जो जनसंख्या से कहीं अधिक है। भारत के केन्द्र शासित प्रदेशों एवं सभी राज्यों में से ३५ में से ३४ में जैन लोग हैं, केवल लक्षद्वीप एक मात्र केन्द्र शासित प्रदेश है जिसमें जैन धर्म नहीं है। झारखण्ड जैसे छोटे राज्य में भी 16,301 जैन धर्मावलम्बी हैं और वहाँ पर शिखरजी का पवित्र तीर्थस्थल है। भारत की एक जनजाति सराक जैन जनजाति है।
जैन इतिहास एक शांत नदी जैसा है जो हजारों साल से अपने मूल सिद्धांतों को लेकर बहती आ रही है। उसका केंद्र है अहिंसा, संयम और आत्म-शुद्धि। चलिए इसे सरल और याद रखने योग्य तरीके से समझते हैं:
जैन धर्म कोई नया धर्म नहीं है। यह भारतीय सभ्यता जितना पुराना माना जाता है।
जैन परंपरा के अनुसार, समय-चक्र में अलग-अलग युगों में 24 तीर्थंकर (ज्ञान प्राप्त साधक) हुए हैं, जिन्होंने जीवन का सही मार्ग बताया।
दिगंबर साधु वस्त्र नहीं पहनते, स्त्री मोक्ष बाद में पाती है
श्वेतांबर सफेद वस्त्र धारण, स्त्री भी मोक्ष पा सकती है
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