Bihar politics की ऐसी व्याख्या आपने कहीं नहीं सुना होगा। bihar politics। जन सुराज। Prashant kishor।
Автор: Jansuraaj-Lakhisarai
Загружено: 2024-03-01
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इस वीडियो में प्रशांत किशोर ने अपना परिचय दिया और उन्होंने राजनीति के प्रति अपना नजरिया व्यक्त किया परिचय देते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया की हम कोई नेता नहीं है,ना ही हमारा कोई दल है, और नहीं हम वोट मांगने आए हैं।
आगे उन्होंने पदयात्रा की ओर ध्यान देते हुए कहा की हम लगातार 18 माह से पैदल चल रहे है और अभी 18 महीना चलना है पैदल पूरी बिहार की पदयात्रा करना है।
इसके बाद उन्होंने वोट देने के लिए मुद्दों की चुनाव का बात किया। उन्होंने कहा की वोट का मुद्दा बच्चों की शिक्षा बुजुर्गों का स्वास्थ्य होना चाहिए ना की मुर्गा भात।
फिर उन्होंने शासन के अवधि की चर्चा की कहा पहले कांग्रेस फिर 15 साल लालू, और अब 18 वर्ष से नीतीश एवं केंद्र में 10 वर्षों से निरंतर मोदी सरकार सत्ता में परंतु गरीबी बेरोजगारी में कोई सुधार नहीं हो रहा है।
प्रशांत किशोर ने गरीबी से निकालने हैं का तीन उपाय बताया १.नौकरी
२. खेती
३. व्यापार
आगे इन्हीं मुद्दों पर चर्चा करते हुए उन्होंने खेती से हो रहे खाने योग्य आमदनी को बढ़ाकर कमाने योग्य आमदनी की चर्चा की। फिर उन्होंने कहा यदि शिक्षा नहीं मिलेगा तो नौकरी नहीं मिलेगी। व्यापार करने के लिए पूंजी की आवश्यकता होती है और आप लोगों के पास पूंजी है ही नहीं।
तो एक मात्र उपाय बच गया है शिक्षा ग्रहण करके नौकरी प्राप्त करना परंतु वर्तमान मौजूद सरकारी संस्थान में शिक्षा का कोई अस्तर ही नहीं बचा है, तो फिर आपके बच्चे कैसे समझ में और प्रतिस्पर्धा भरे परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर सकेंगे इसलिए वोट अपने बच्चों की शिक्षा के लिए दें।
हमारा बिहार भारत में सबसे पिछड़े राज्यों में से एक है।और गरीबी का का शिक्षा पर बहुत बड़ा दुष्प्रभाव पड़ता है। गरीबों के कारण लोग उत्तम अस्तर की शिक्षाओं को ग्रहण करने में असमर्थ रहते हैं।और वह सदैव इसी गरीबी के जाल में फंसे रह जाते हैं। इसलिए शिक्षा के मुद्दा पर वोट करना अति आवश्यक है।
फिर आगे उन्होंने बिहार के किसानों के बदहाली की चर्चा की उन्होंने कहा जहां पूरी दुनिया प्रौद्योगिकी के माध्यम से आधुनिक कृषि करके आमदनी एकत्रित कर रहा है वही हमारा बिहार के किसान आज भी प्रकृति पर खेती के लिए निर्भर करते हैं और बिहार के किसान केवल खाने योग्य ही कृषि से अन्य उपजा पाते हैं। इस मामले में उन्होंने पंजाब और हरियाणा के किसानों का हवाला दिया।
आगे उन्होंने धान की लापरवाही से हो रही बिक्री पर भी चर्चा की की कैसे बिहार के किसान सस्ते दामों में बेहद ही कम कीमतों में अपने दान को व्यापारी के हाथों बेच रहें हैं।
प्रशांत किशोर ने ने प्रवासी मजदूर और बिहार से पलायन करने वाले लोगों पर चर्चा की। कैसे बिहार कैसे बिहारके लोग 6000 के लिए अपनी जिंदगी को बर्बाद कर रहा है।
फिर उन्होंने कहा कि राज्य में जनता जात के नाम और केंद्र में धर्म के नाम पर वोट कर देते हैं और फिर पूरे देश दुनिया में शिक्षा और रोजगार के लिए घूमते फिरते हैं। और फिर उन्होंने बात के लिए जाट और 5 किलो भात की चर्चा की।
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