बालाजी का नया भजन 2025 अवश्य सुनें !! आ लौट के आजा हनुमान !! रचना व स्वर- सांवल दान देपावत - देशनोक
Автор: Sanwal dan depawat Pappu dan charan
Загружено: 2025-04-13
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🚩🖊️ बालाजी का नया भजन-
दोहा
वीर लखन मुरछित पड़े,
कवन बचाए प्रान ।
बलसाली हनुमान जी,
पाय संजीवन आन ।।१।।
पर्वत ने ऊंचो कियो,
लियो हाथ पर धार ।
उड़ चले हनुमान जी,
सात समंदर पार ।।२।।
लाकर बूंटी लखन को,
दीनी घूंट पिलाय।
उठ बैठे अब लखन जी,
रामादल सुखपाय ।।३।।
हाध धनुष अब धारियो,
तरकस तीर कमान ।
राम सपथ ली लखन ने,
रावन सुत तज प्रान ।।४।।
भजन
आ लौट के आजा हनुमान,
तुझे प्रभू राम बुलाते है ।।टेर।।
आओ महाबली वीर पवन सुत।
लेय संजीवन बूटी ।
लाल सुमित्रन लखन को पाओ,
घोर घोल कर घूंटी।।
जरा वेग चलो बलवान,
द्रोण गिर पर्वत माथे है।
आ लौट के आजा हनुमान,
तुझे प्रभू राम बुलाते है।।१।।-----
जाओ पवनसुत लेन संजीवन,
रैन ढळी है पूरी।
अल्प समय है सूरज उगणो,
रह-रह चिंता हूरी ।।
तुम तुरंत रहो तैयार,
वैद जी बूंटी बताते है।
आ लौट के आजा हनुमान,
तुझे प्रभू राम बुलाते है।।२।।----
गये पवन सुत लेन संजीवन,
तुरंत हिमालय आए ।
जड़ी-बूटी को जान न पाएं
तुरंत पहाड़ उठाए ।।
अब उड़के चले हनुमान,
हाथ मे पर्वत लाते है ।
आ लौट के आजा हनुमान,
तुझे प्रभू राम बुलाते है।।३।।-----
आंख फाड़कर अंबर निरखै,
कबहुक हनुमंत आए।
वीर सिरोमणी वानर सारा,
मन ही मन घबराए।।
प्रभु राम पुकारे आज,
साथ सुग्रीव अघाते है।
आ लौट के आजा हनुमान,
तुझे प्रभू राम बुलाते है ।।४।।----
लखन लाल है गोद राम की,
मुरछा तन पर आए।
रो रो कर प्रभू राम बिलखते,
मुखपे उदासी छाए ।।
अब रूदन करे श्री राम,
नैणभर आंसू बहाते है ।
आ लौट के आजा हनुमान,
तुझे प्रभू राम बुलाते है ।।५।।----
पवन गति से आए पवनसुत,
हाथ मे पर्वत लाए।
लाकर वीर धरे धरणी पर,
बैद बूटी बतलाए ।।
अब लखन को घोल पिलाय,
नींद सूं लिछमण उठते है ।।
आ लौट के आजा हनुमान,
तुझे प्रभू राम बुलाते है।।६।।----
जाग उठे बलवान लखन जी,
तरकस बाण संभाले।
मेघनाथ ने पल मे मारूं
हो गये आग बबूले।।
कथ-कथकर सांवलदान,
प्रेम सूं भजन सुनाते हैं।
आ लौट के आजा हनुमान,
तुझे प्रभू राम बुलाते है ।।७।।----
कृत:- सांवल दान देपावत (पप्पू दान)
देशनोक🙏🚩🚩
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