Sharda Sinha शारदा सिन्हा
Автор: Sharda Sinha Official
Загружено: 2025-11-01
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स्वर शारदा : माँ शारदा सिन्हा की मधुर स्मृतियों को समर्पित संगीतमय संध्या
दिनांक : 1 नवम्बर 2025 | स्थल : रवींद्र भवन, पटना |
पटना, 1 नवम्बर :
लोकगायन की अमर साधिका, पद्मविभूषण स्वर्गीय शारदा सिन्हा जी की प्रथम पुण्यतिथि के अवसर पर “स्वर शारदा” नामक एक भव्य संगीतमय श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन शारदा सिन्हा आर्ट एंड कल्चर फाउंडेशन द्वारा रवींद्र भवन, पटना में किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ सामूहिक गायन “मोहि लेलखिन साजनी” से हुआ, जिसने पूरे सभागार को भावविह्वल कर दिया। कोयर का संचालन संगीत विभाग, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की प्राध्यापिका डॉ. लावण्य कीर्ति सिंह "काव्या" ने किया।
इसके पश्चात शारदा जी के सुप्रसिद्ध गीतों की क्रमवार प्रस्तुति दी गई —
1. कोयर – मोहि लेलखिन सजनी
2. रिंकी पांडेय – कलकतवा से अइले झुमक भारी
3. सत्येंद्र संगीत – छठी मइया अइ ना दुबरिया
4. चंदन तिवारी – कबो कबो सपना में
5. सीताराम सिंह एवं वंदना सिन्हा – बलमु ना जइह विदेशवा
6. शैलेन्द्र मिश्रा – सैयाँ तोरा खातिर भयनी बदनाम
7. संजोली पांडेय – अमुआ महुआवा के झूमें दरिया
8. रजनीश कुमार – के पतिया ला जायत रे
9. विजया भारती – पटना से बैदा
10. विजय कपूर – खाली बड़ा धोखा
11. तृप्ति शाक्या – कहे तो से सजना
12. वंदना सिन्हा – बड़ रे जतन से
13. सभी कलाकारों द्वारा सामूहिक समापन गीत – जगदम्बा घर में दियारा
कार्यक्रम का एक विशेष और अत्यंत भावनात्मक क्षण तब आया जब श्री सीताराम सिंह जी ने श्रीमती वंदना सिन्हा के साथ मिलकर वह अमर गीत “बलमु ना जइह विदेशवा” प्रस्तुत किया —
यही गीत उन्होंने स्वर्गीय शारदा सिन्हा जी के साथ सन् 1972 में HMV स्टूडियो में रिकॉर्ड किया था। यह प्रस्तुति सुनकर पूरा सभागार अतीत की मधुर स्मृतियों में डूब गया।
इसके बाद जब शारदा सिन्हा जी की सुपुत्री श्रीमती वंदना सिन्हा ने अपनी माँ के प्रिय लोकगीत “समदौन” को अपने स्वर में प्रस्तुत किया, तो पूरा सभागार भाव-विभोर हो उठा। माँ और बेटी के इस अद्भुत भाव-संपन्न संयोग ने दर्शकों की आँखें नम कर दीं।
कार्यक्रम का मंच संचालन वरिष्ठ एंकर श्रीमती सोमा चक्रवर्ती ने अत्यंत सुंदर एवं गरिमामय ढंग से किया, जिससे पूरे कार्यक्रम की लय और भावनात्मकता बनी रही।
चुनावी व्यस्तता के बावजूद अनेक विशिष्ट अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति रही —
पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे,
भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष एवं फ्रंटलाइन ग्रुप की चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया सिन्हा,
श्रीमती नित्या पाठक (कार्यकारी संयोजक, सुलभ इंटरनेशनल),
श्री कुमार अरुणोदय (निदेशक – ‘मुझे भी पढ़ाओ’ अभियान), तथा
श्री उपेन्द्र नारायण विद्यर्थी (पूर्व अध्यक्ष – बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड)।
श्री अश्विनी कुमार चौबे ने अपने संबोधन में कहा कि उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री तथा बिहार के मुख्यमंत्री से पूर्व में ही यह आग्रह किया था कि शारदा सिन्हा जी के नाम पर बिहार में एक संगीत विश्वविद्यालय की स्थापना तथा उनकी आदमकद प्रतिमा का निर्माण किया जाए। उन्होंने पुनः मंच से यह निवेदन किया कि इस प्रस्ताव को शीघ्र मूर्त रूप दिया जाए, ताकि लाखों संगीतप्रेमियों और श्रद्धालुओं को इसका लाभ मिल सके।
कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित रहे बांकीपुर गर्ल्स हाई स्कूल के सांस्कृतिक प्रभारी श्री मुरलीधर शुक्ला, जो उसी विद्यालय से जुड़े हैं जहाँ से शारदा सिन्हा जी ने अपनी शिक्षा प्राप्त की थी।
कार्यक्रम का विशेष आकर्षण रहा बॉलीवुड के ख्यातनाम कलाकारों — भाग्यश्री (मैने प्यार किया), मनोज वाजपेयी (गैंग्स ऑफ वासेपुर 2), पंकज त्रिपाठी (कागज़), तथा संजय मिश्रा (डेथ ऑन अ संडे) — के भावपूर्ण वीडियो संदेश, जिन्होंने शारदा जी की याद में अपनी भावनाएँ साझा कीं।
संध्या का समापन शारदा जी के पुत्र एवं स्वर शारदा फाउंडेशन के संस्थापक श्री अंशुमान सिन्हा द्वारा दिए गए धन्यवाद ज्ञापन से हुआ, जिन्होंने सभी अतिथियों, कलाकारों और उपस्थित दर्शकों के प्रति हृदय से कृतज्ञता व्यक्त की।
“स्वर शारदा” केवल एक संगीत संध्या नहीं, बल्कि यह बिहार की लोक आत्मा, संगीत परंपरा और माँ शारदा के प्रति गहरे सम्मान का सामूहिक उत्सव था।
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